आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट का मल्लाह समुदाय के वोट पर नजर, बिहार चुनाव में VIP की ये है सबसे बड़ी चुनौती, एनडीए और महागठबंधन दोनों की छोटे सहयोगियों पर भरोसा की रणनीति
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही एनडीए और महागठबंधन ने अपनी चुनावी ताक़त बढ़ाने के लिए छोटे सहयोगियों पर विशेष ध्यान दिया है। ये दल न केवल वोट बैंक में इजाफ़ा कर सकते हैं, बल्कि गठबंधन के सियासी समीकरण को भी प्रभावित कर सकते हैं।
एनडीए गठबंधन में शामिल हैं लोजपा (आरवी), आरएलएम (उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी) और हम (जीतन राम मांझी की पार्टी).ये दल क्रमशः पासवान, कुशवाहा और अनुसूचित जाति (एससी) मतदाताओं के बीच एनडीए के आधार को मज़बूत करेंगे। 2020 के नतीजों ने कुशवाहा और एससी मतदाताओं के बीच संभावित दरार दिखाई थी, जिसे इस बार एनडीए पाटने का प्रयास कर रहा है।
वहीं, महागठबंधन ने इस बार दो नए सहयोगियों को शामिल किया है विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और आईआईपी (भारतीय समावेशी पार्टी)।मुकेश सहनी की वीआईपी, जो 2020 में एनडीए का हिस्सा थी, अब महागठबंधन के साथ है। वीआईपी ने 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और उसे निषाद मतदाताओं के बीच अपनी लोकप्रियता साबित करनी है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पार्टी अपने वोटों को राजद, कांग्रेस और वाम दलों जैसे बड़े सहयोगियों को कितनी प्रभावी ढंग से हस्तांतरित कर पाती है।
वामपंथी दलों में भाकपा (माले) महागठबंधन की सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी है। 2020 में 19 में से 12 सीटें जीतने के बाद, इस बार भाकपा (माले) ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। राजद को भाकपा के समर्थन से मगध और शाहाबाद क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। दोनों पार्टियां चुनावी मैनेजमेंट और समन्वय में अपनी दक्षता का दावा कर रही हैं।
इसके विपरीत, एनडीए ने सीट बंटवारे में बेहतर समझदारी दिखाई है। भाजपा और जदयू ने 101-101 सीटों पर सहमति बनाई, जबकि लोजपा (आरवी), आरएलएम और हम ने क्रमशः 29, 6 और 6 सीटें लेने पर हामी भरी।इस तरह एनडीए अपने घटकों के बीच सियासी समन्वय में विपक्षी गठबंधन से बढ़त बनाए हुए है।
छोटे सहयोगी इस बार बिहार चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने मतदाता ब्लॉक और स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार कर रहे हैं।बिहार की राजनीति में छोटे दलों का बड़ा असर इस बार साफ़ दिखेगा।