Bihar Vidhansabha Chunav 2025: राजद सांसद के विधवा को अपशगुन बताने वाला बयान से सुलगी सियासत! बिहार की राजनीति में सुरेंद्र यादव ने छेड़ा तूफान, महिला मोर्चा में उबाल

चुनावी गहमागहमी के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव के एक बयान ने सियासी माहौल को और गर्मा दिया है।...

राजद सांसद के विधवा को अपशगुन बताने वाला बयान से सुलगी सियासत! - फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की राजनीति में इस वक़्त हलचल मची हुई है। चुनावी गहमागहमी के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव के एक बयान ने सियासी माहौल को और गर्मा दिया है। एक वायरल वीडियो में सांसद को यह कहते हुए सुना गया कि विधवा महिलाएं अपशगुन होती हैं, और उन्हें शुभ कार्यों में नहीं बुलाया जाता।इस बयान ने न केवल विपक्ष बल्कि महिला समुदाय में भी गहरी नाराज़गी पैदा कर दी है। एनडीए की महिला नेत्रियों ने इस बयान को “महिला समाज का अपमान” बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

भाजपा प्रवक्ता अनामिका पासवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “राजद सांसद का बयान निंदनीय ही नहीं, बल्कि महिला सम्मान पर सीधा प्रहार है। यह सिर्फ़ जदयू की उम्मीदवार का नहीं, बल्कि पूरे नारी समाज का अपमान है।”वहीं जदयू प्रवक्ता अनुप्रिया यादव ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से सवाल दागते हुए कहा कि, “क्या वे अपनी पार्टी के सांसद के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, या फिर इस बयान को मौन स्वीकृति देंगे?”

भाजपा की प्रवक्ता प्रीति शेखर ने इसे “संवेदनहीन और अमर्यादित टिप्पणी” बताते हुए कहा, “उन्होंने ऐसी महिला के बारे में कहा है, जिनके मांग का सिंदूर उजड़ गया है। यह न केवल असंवेदनशीलता है बल्कि सामाजिक मान्यताओं पर भी कलंक है।”

सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में सुरेंद्र यादव यह कहते नज़र आते हैं कि “हमारे समाज में विधवा महिला को शुभ कार्य में निमंत्रण नहीं दिया जाता, ऐसा हिंदू धर्म में प्रचलित है।”न्यूज4नेशन वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।

राजनीतिक गलियारों में अब यह मुद्दा “नारी सम्मान बनाम रूढ़िवादिता” की बहस का रूप ले चुका है।जहां एनडीए इसे महिला विरोधी मानसिकता का उदाहरण बता रहा है, वहीं राजद की ओर से अब तक इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है।बिहार की राजनीति में यह बयान अब एक चुनावी हथियार बन गया है।

हर दल अपने हिसाब से इसे भुना रहा है  कोई इसे “राजद की सोच का आईना” बता रहा है, तो कोई इसे “बयानबाज़ी की भूल” कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश में है।लेकिन एक बात तय है कि इस बयान ने बिहार की सियासी ज़मीन को हिला दिया है, और महिला अस्मिता की बहस को फिर एक बार चुनावी मंच पर ला खड़ा किया है।