Runnisaidpur Assembly Seat: भाजपा का जीत खाता अभी तक नहीं खुला, राजनीतिक इतिहास में बदलाव की बयार

रूनीसैदपुर विधानसभा सीट पर अब तक भाजपा को कभी जीत नहीं मिली है। जानिए सीट का पूरा चुनावी इतिहास, जातीय समीकरण, प्रमुख नेता और 2020 तक के चुनाव परिणाम।

रूनीसैदपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास अत्यंत दिलचस्प और विविधतापूर्ण है। यह सीट कभी कांग्रेस और जनता पार्टी के उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित मानी जाती थी, लेकिन अब यह सीट पूरी तरह से बदल चुकी है। एक तरफ जहां भाजपा का यहां अब तक जीत का खाता नहीं खुल सका, वहीं दूसरी तरफ जदयू, राजद, और निर्दलीय उम्मीदवारों ने यहां से विधायक बनकर इस सीट के राजनीतिक रंग को कई बार बदला है।

रूनीसैदपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का कभी भी दबदबा नहीं रहा। यह सीट निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के लिए एक मजबूत चुनावी मैदान रही है। 1995 से लेकर 2005 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतने वाले भोला राय इस सीट के प्रमुख नेता रहे। उन्होंने पहले जनता दल, फिर राजद के टिकट पर यहां चुनाव जीते। भोला राय की राजनीति की नींव इस सीट पर रखी गई थी। 1995, 2000, और फरवरी 2005 में उन्होंने राजद के टिकट से यहां से विधायक के रूप में जीत हासिल की। वर्तमान में इस सीट पर पंकज कुमार मिश्रा विधायक हैं, जो 2020 में जदयू के टिकट पर चुनाव जीतकर यहां पहुंचे थे।

2020 के विधानसभा चुनाव में पंकज कुमार मिश्रा ने 73,205 (47.96%) वोट प्राप्त कर इस सीट पर जीत दर्ज की। वहीं, राजद की मंगीता देवी 48,576 (31.83%) वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। यह चुनाव त्रिकोणीय संघर्ष का था, जिसमें लोजपा की गुड्डी देवी तीसरे स्थान पर रहीं। इस चुनाव में कुल 53.12% वोटिंग हुई थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में, राजद की मंगीता देवी ने आरएलएसपी के पंकज कुमार मिश्रा को 14,110 वोटों से हराया। मंगीता देवी को 55,699 वोट मिले थे, जबकि पंकज कुमार मिश्रा को 41,589 वोट ही मिल सके थे।

रूनीसैदपुर विधानसभा की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। यहां ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता सबसे अधिक प्रभावी हैं। राजपूत और यादव मतदाता भी चुनावी परिणामों पर महत्वपूर्ण असर डालते हैं। इस सीट पर जातीय समीकरणों के हिसाब से चुनावों के परिणाम बदलते रहे हैं।

इस सीट पर 1969 के चुनाव में सबसे ज्यादा 72.5% वोटिंग हुई थी। इसके बाद 1990 में 71.1% वोटिंग दर्ज की गई। जनसंख्या के हिसाब से, यहां अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 35,259 हैं, जो कुल जनसंख्या का 12.27% हैं। अनुसूचित जनजाति के मतदाता लगभग 690 हैं, जो मात्र 0.24% हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 42,530 है, जो इस सीट पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

रूनीसैदपुर विधानसभा सीट, जो कभी कांग्रेस और जनता पार्टी के मजबूत गढ़ के रूप में जानी जाती थी, अब पूरी तरह से बदल चुकी है। इस सीट पर भाजपा की जीत अभी तक एक सपना ही बनी हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यहां पर भविष्य में और भी बदलाव हो सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में कौन सा दल इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखता है और क्या भाजपा का यहां जीत का खाता कभी खुलेगा या नहीं।

रूनीसैदपुर की राजनीति में यह सीट हमेशा एक महत्वपूर्ण और परिवर्तनशील भूमिका निभाती रही है, और आने वाले चुनावों में यहां के मतदाताओं के मन को समझने वाले ही इस सीट पर सफल होंगे।