Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चुनावी व्यवस्था पर ग्रामीणों का सर्जिकल स्ट्राइक! चेनारी में बूथ संख्या-204 पर वोट का बहिष्कार , समझाइश में जुटे अधिकारी

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में रोहतास जिले के चेनारी विधानसभा क्षेत्र से एक बड़ा और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है।

चुनावी व्यवस्था पर ग्रामीणों का सर्जिकल स्ट्राइक!- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में रोहतास जिले के चेनारी विधानसभा क्षेत्र से एक बड़ा और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है। शिवसागर प्रखंड के बूथ संख्या-204 पर मंगलवार सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक एक भी वोट नहीं पड़ा। ग्रामीणों ने विकास कार्यों की अनदेखी और प्रशासनिक उदासीनता के ख़िलाफ़ खुला मोर्चा खोलते हुए मतदान का पूर्ण बहिष्कार कर दिया।

ग्रामीणों का आरोप सीधा है कि कोनकी पंचायत में पंचायत भवन निर्माण होना था, मगर इसे प्रभाव और पैरवी के दम पर किसी दूसरे गांव में स्थानांतरित कर दिया गया। स्थानीय लोगों ने कई बार आवेदन देकर विरोध दर्ज कराया, अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया, मगर कोई कार्यवाही न होने से उनका विश्वास तंत्र पर से उठ गया। नतीजतन, ग्रामीणों ने पहले ही चुनाव आयोग और प्रशासन को सूचित कर दिया था कि उनकी मांगें पूरी न होने तक वे मतदान नहीं करेंगे।

दोपहर तक पूरी तरह से सूने पड़े बूथ की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। स्थानीय अधिकारी मौके पर पहुंचे, वार्ता करने और लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन ग्रामीण साफ शब्दों में कह रहे हैं किवोट हमारा है, विकास भी हमारा हक़… जब काम नहीं होगा, वोट क्यों!

स्थिति को गंभीर देखते हुए जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को भेज दी है और क्षेत्र पर लगातार निगरानी की जा रही है। फिलहाल बूथ पर सुरक्षाबलों की तैनाती है, और प्रशासन की कोशिश है कि मतदान प्रक्रिया प्रभावित न हो।

चुनावी समीकरण की दृष्टि से चेनारी की अहमियत कम नहीं। यह SC आरक्षित सीट है और सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। कुल 1.73 लाख से अधिक मतदाताओं में SC (लगभग 25%), OBC (30%), और EBC (20%) का प्रभुत्व है। 2020 में यहां कांग्रेस ने JDU को मात दी थी, इसलिए 2025 की लड़ाई यहां और भी दिलचस्प मानी जा रही थी। मगर आज गांव के इस विरोध ने साफ कर दिया है कि जनता अब सिर्फ़ वादों से नहीं, ज़मीनी काम से वोट देगी।

 सभी की नज़र प्रशासन और ग्रामीणों के बीच वार्ता पर टिकी है, कि क्या शाम तक जनता वोटिंग के मैदान में लौटेगी या बहिष्कार अंतिम फैसला साबित होगा।