तेजस्वी की पंचायत प्रतिनिधियों पर बड़ी घोषणा, भत्ता बढ़ोतरी, पेंशन और बीमा का वादा, 5 लाख तक ब्याज मुक्त लोन
बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर दो चरणों में छह और 11 नवंबर को मतदान होगा तथा परिणामों की घोषणा 14 नवंबर को की जाएगी। इसके पहले तेजस्वी ने बड़ा ऐलान किया है.
Tejashwi yadav : बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजद नेता और ‘इंडिया गठबंधन’ के मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार तेजस्वी यादव लगातार नए-नए वादों के साथ जनता के बीच पहुंच रहे हैं। रविवार को उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को लेकर कई बड़ी घोषणाएं कीं, जिससे राज्य की राजनीति और सरकारी तंत्र दोनों में हलचल तेज हो गई है।
तेजस्वी यादव ने पटना में पत्रकारों से कहा कि अगर बिहार में ‘इंडिया गठबंधन’ की सरकार बनती है, तो पंचायती राज व्यवस्था के निर्वाचित प्रतिनिधियों का भत्ता दोगुना किया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें 50 लाख रुपये का बीमा कवर और पेंशन सुविधा भी दी जाएगी। उन्होंने कहा, “हम पंचायती राज संस्थाओं को मज़बूत बनाना चाहते हैं, क्योंकि गांवों की असली ताकत इन्हीं प्रतिनिधियों में है।” बिहार में पंचायती राज व्यवस्था तीन स्तरों पर काम करती है — जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत। इनके प्रमुखों को क्रमशः अध्यक्ष, प्रमुख और मुखिया कहा जाता है।
तेजस्वी ने यह भी घोषणा की कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के डीलरों को भी राहत दी जाएगी। उन्होंने कहा, “हम डीलरों का मार्जिन मनी प्रति क्विंटल के हिसाब से बढ़ाएंगे, ताकि वे बिना आर्थिक दबाव के जनता को सही ढंग से सेवा दे सकें।” इसके साथ ही, तेजस्वी ने परंपरागत व्यवसायों से जुड़े समुदायों — जैसे नाई, कुम्हार और बढ़ई — को राज्य सरकार की ओर से पांच लाख रुपये तक का ब्याज-मुक्त ऋण देने की बात कही। उनका कहना था कि “छोटे कारीगर और परंपरागत पेशेवर बिहार की आत्मा हैं, उन्हें आर्थिक रूप से मज़बूत करना हमारी प्राथमिकता होगी।”
इससे पहले भी तेजस्वी यादव ने ‘जीविका दीदियों’ को लेकर कई घोषणाएं की थीं। उन्होंने कहा था कि राज्य की महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त करने के लिए ब्याज-मुक्त ऋण, न्यूनतम मानदेय में वृद्धि, और स्थायी आय स्रोत सुनिश्चित करने वाली योजनाएं शुरू की जाएंगी। तेजस्वी ने संविदा कर्मियों (कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों) के मुद्दे पर भी कहा था कि अगर उनकी सरकार बनी तो सभी संविदा कर्मियों को स्थायी करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे, और उनकी सेवाओं का नियमितीकरण तथा वेतनमान की समीक्षा की जाएगी।
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में — 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। तेजस्वी की इन घोषणाओं को चुनावी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जो ग्रामीण मतदाताओं, महिला समूहों और सरकारी कर्मचारियों — तीनों वर्गों को साधने की कोशिश है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव की यह ‘लोकल + वेलफेयर’ रणनीति बिहार की सियासत में नया समीकरण बना सकती है, खासकर तब जब मुकाबला नीतीश कुमार के शासन-प्रबंधन मॉडल बनाम तेजस्वी के रोजगार और सामाजिक सुरक्षा मॉडल के बीच खड़ा होता दिख रहा है।