Bihar Vidhansabha Chunav 2025: वजीरगंज की सियासी जमीन पर कड़ा मुकाबला, भाजपा के वीरेंद्र, जनशक्ति के प्रेम कुमार और बसपा के चिंटू भैया आमने-सामने, दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा, गणित भी जान लीजिए
वजीरगंज सीट पर तीन धुरंधर मैदान में उतर चुके हैं, भाजपा के वीरेंद्र सिंह, जनशक्ति जनता दल के प्रेम कुमार, और बसपा के चितरंजन कुमार उर्फ़ चिंटू भैया।
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी अपने चरम पर है। सूबे के हर कोने में राजनीतिक उबाल है और अब गया ज़िले की वजीरगंज विधानसभा सीट बन चुकी है इस चुनावी रणभूमि की नई हॉट सीट। दलों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है और अब इस सीट पर तीन धुरंधर मैदान में उतर चुके हैं, भाजपा के वीरेंद्र सिंह, जनशक्ति जनता दल के प्रेम कुमार, और बसपा के चितरंजन कुमार उर्फ़ चिंटू भैया।
वजीरगंज सीट का राजनीतिक इतिहास दिलचस्प रहा है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह ने शानदार जीत दर्ज की थी और वे वर्तमान विधायक हैं। भाजपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। वहीं, पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल से प्रेम कुमार को मैदान में उतारा है, जबकि बसपा ने अपने कद्दावर उम्मीदवार चितरंजन कुमार (चिंटू भैया) को टिकट देकर इस लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है।
वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल 150 गांव आते हैं। यह सीट भले ही सामान्य (अनारक्षित) हो, मगर यहां अनुसूचित जाति के मतदाता (करीब 33%) निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वहीं, मुस्लिम आबादी करीब 9% और हिंदू मतदाता 92% हैं। यही सामाजिक समीकरण इस सीट को रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम बनाता है।
चितरंजन कुमार ऊर्फ चिंटू भैया ने नामांकन दाख़िल करते हुए कहा कि यह सिर्फ़ चुनाव नहीं, बदलाव की शुरुआत है। अब सफ़र शुरू हो चुका है, संघर्ष भी होगा, मुकाबला भी।उन्होंने मौजूदा विधायक पर विकास कार्यों में नाकामी का आरोप लगाते हुए कहा कि वजीरगंज की सड़के जर्जर हैं, प्रशासन पर तालाबाज़ों का राज है, जनता परेशान है। चिंटू भैया का कहना है कि उनका एजेंडा साफ़ है बिजली बिल की लूट का अंत, सिमेंट फैक्ट्री का पुनः संचालन और अपराध पर नियंत्रण।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बसपा की एंट्री ने वजीरगंज की लड़ाई को बेहद दिलचस्प बना दिया है। अब यह मुकाबला सिर्फ़ दलों का नहीं, बल्कि विकास बनाम असंतोष का हो गया है।मगध की धरती जहाँ बुद्ध को ज्ञान मिला था, अब वहीं की जनता यह तय करेगी कि 2025 में “ज्ञान” की रोशनी किसके हिस्से आएगी वीरेंद्र की निरंतरता, प्रेम कुमार का नया प्रयोग, या चिंटू भैया की चुनौती।
बहरहाल सियासी जंग शुरू हो चुकी है, और वजीरगंज की मिट्टी से उठ रही है एक नई चुनावी दास्तान जो बदलाव की गूंज भी हो सकती है, मगध से विधानसभा तक कौन पहुंचेगा अब जनता के हाथ में है।