सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सेक्स एजुकेशन जरूरी, भारत में इसे लेकर फैला है भ्रम
सेक्स एजुकेशन आज के समय में देना बहुत ही जरूरी बात हो गई है। बढ़ते उम्र के बच्चों को इसका ज्ञान जरूर देना चाहिए। अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि भारत में सेक्स एजुकेशन को लेकर बहुत बड़ा क्फूंजन है। यहां तक कि बहुत से माता-पिता और शिक्षक भी इसे लेकर नैरो माइंड रखते हैं। सेक्स के बारे में बात करना अनुचित और अनैतिक समझते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि हम सेक्स एजुकेशन के बारे में गलत धारणाओं को दूर करना शुरू करें। इसके फायदों के बारे में सभी को सही जानकारी दें, ताकि हम सेक्स हेल्थ के नतीजों को बेहतर बना सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को चाइल्ट पोर्नोग्राफी पर फैसला सुनाते हुए सेक्स एजुकेशन के बारे में भी बात की। कोर्ट ने कहा कि ‘सेक्स एजुकेशन को वेस्टर्न कॉन्सेप्ट मानना गलत है। इससे युवाओं में अनैतिकता नहीं बढ़ती, इसलिए भारत में इसकी शिक्षा बेहद जरूरी है।’ कोर्ट ने कहा कि लोगों का मानना है कि सेक्स एजुकेशन भारतीय मूल्यों के खिलाफ है। इसी वजह से कई राज्यों में यौन शिक्षा को बैन कर दिया गया है। इसी विरोध की वजह से युवाओं को सटीक जानकारी नहीं मिलती। फिर वे इंटरनेट का सहारा लेते हैं, जहां अक्सर भ्रामक जानकारी मिलती है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये जरूर कहा है कि भारत में सेक्स एजुकेशन जरूरी है। लेकिन इससे पहले कई नेता इसका विरोध कर चुके हैं। डॉ.हर्षवर्धन जो 2014 से 2019 के बीच हेल्थ मिनिस्टर रहे, उन्होंने कहा कि भारत के स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की जगह योग कराया जाना चाहिए। उन्होंने सेक्स एजुकेशन को बैन तक करने की मांग की थी।