मानवता को शर्मसार करने वाली घटना,15 महीने से कमरे में बंधक बनाकर रखे गए मां-बेटे को बचाया गया
N4N डेस्क: मानवता को झकझोर देने वाला एक मामला सामने आया है, जहाँ एक 71 वर्षीय वृद्ध मां और उनके 48 वर्षीय बेटे को बीते 15 महीनों से एक बंद कमरे में कैद कर रखा गया था. यह दिल दहला देने वाली घटना बोकारो के सेक्टर-6 थाना क्षेत्र की है, जहाँ मां-बेटे को लाकर एक कमरे में बंद कर बाहर से ताला जड़ दिया गया था. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इतने लंबे समय तक पड़ोसियों ने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी.
ऐसे हुआ खुलासा और फिर रेस्क्यू
इस अमानवीय कृत्य का खुलासा तब हुआ जब एक सामाजिक संस्था को इस मामले की जानकारी मिली. संस्था ने तुरंत पुलिस को सूचित किया. हालाँकि, शुरुआत में पुलिस केवल खिड़की के बाहर से पूछताछ कर लौट गई थी. लेकिन, जब मीडिया ने इस घटना को प्रमुखता से उजागर किया, तब पुलिस हरकत में आई और तत्काल रेस्क्यू अभियान चलाया गया.
सेक्टर-6 थाना प्रभारी संगीता कुमारी के नेतृत्व में पुलिस टीम मौक़े पर पहुंची और दरवाज़े का ताला तोड़कर मां-बेटे को सुरक्षित बाहर निकाला.
संपत्ति विवाद और राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति पर आरोप
रेस्क्यू के बाद 48 वर्षीय बेटे संतोष कुमार ने चौंकाने वाला खुलासा किया. उन्होंने बताया कि अशोक सिंह नामक एक व्यक्ति, जो एक राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है, उन्हें और उनकी मां सीता देवी को यहाँ लाकर कैद कर रखा था. संतोष ने आरोप लगाया कि अशोक सिंह उनकी संपत्ति हड़पना चाहता था, इसलिए उन्हें बंधक बनाया गया.
पुलिस का बयान
सेक्टर 6 थाना प्रभारी संगीता कुमारी ने बताया कि उन्हें फोनिक सूचना से करीब 15 महीनों से मां-बेटे को कैद रखने की जानकारी मिली थी. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बेटे की पत्नी और बहू के साथ संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था. वे एक वकील के संपर्क में थे, और वकील के कहने पर अशोक सिंह ने पैसे खर्च कर मामला सुलझाने का भरोसा दिया था, लेकिन उसका असली इरादा संपत्ति हड़पना था.
पुलिस के अनुसार, अशोक सिंह महीने में एक या दो बार आता था और उन्हें चावल-दाल जैसी बुनियादी चीजें दे जाता था. ज़रूरत पड़ने पर मां-बेटे रस्सी में झोला लटकाकर पड़ोसियों से सामान मंगाते थे.
फिलहाल, पुलिस ने दोनों को रेस्क्यू कर लिया है और उनके बयान दर्ज किए जा रहे हैं. थाना प्रभारी ने बताया कि लिखित शिकायत मिलने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
यह घटना एक सभ्य समाज पर गहरा सवाल छोड़ती है कि आखिर 15 महीनों तक किसी को इस तरह अमानवीय तरीके से बंधक बनाकर रखा गया और किसी को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी.