ढाबे में काम करने वाले शख्स ने कुत्ते के जन्मदिन पर दी बड़ी दावत, पूरे शहर में निकाला जूलूस, हर चौराहे पर काटे केक
समीर शेख का यह आयोजन सिर्फ एक कुत्ते के जन्मदिन का जश्न नहीं था, बल्कि उनके पशु-प्रेम का प्रतीक था। उन्होंने साबित किया कि सीमित साधनों के बावजूद भी कोई इंसान अपने पालतू जानवरों के प्रति गहरे प्रेम और समर्पण को दिखा सकता है।
Burhanpur Dog birthday celebration: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के शाहपुर इलाके में समीर शेख ने अपने पालतू कुत्ते ‘कालू’ के जन्मदिन को भव्य तरीके से मनाकर पशु-प्रेम की एक नई मिसाल पेश की है। इस अनोखे आयोजन में न केवल कालू की शोभायात्रा निकाली गई, बल्कि गांव के 200 से अधिक लोग इस जश्न का हिस्सा बने। ढोल-ताशों के साथ पूरे गांव में जुलूस निकाला गया और आठ अलग-अलग जगहों पर केक काटकर इस समारोह को खास बनाया गया।
कालू का परिचय: कैसे बना परिवार का हिस्सा?
कालू, जो कि समीर के लिए केवल एक पालतू जानवर नहीं बल्कि परिवार का सदस्य है, समीर को गिफ्ट में मिला था। दरियापुर के पास स्थित एक ढाबे के मालिक ने उन्हें एक घायल कुत्ता दिया था, जिसका एक पैर टूटा हुआ था। समीर ने कालू का इलाज करवा कर उसे अपनाया और अपने बच्चों की तरह पालने लगे। इस प्यार और देखभाल के चलते कालू का पहला जन्मदिन खास मनाने का निर्णय लिया गया।
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के शाहपुर इलाके में समीर शेख ने अपने पालतू कुत्ते ‘कालू’ के जन्मदिन को भव्य तरीके से मनाकर पशु-प्रेम की एक नई मिसाल पेश की है।#MadhyaPradesh #DogLover #BIRTHDAYCELEBRATION pic.twitter.com/OINnlA5JQJ
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जन्मदिन समारोह की खास बातें
समीर ने कालू के जन्मदिन पर गांववालों को आमंत्रित किया और ढोल-ताशों के साथ कालू की शोभायात्रा निकाली। कालू को इस खास अवसर पर रंगीन टोपी और फूलों की माला पहनाई गई। गांव के आठ अलग-अलग चौराहों पर केक काटकर लोगों ने इसे और भी ज्यादा यादगार बना दिया। समीर का कहना है कि यह केवल एक समारोह नहीं था, बल्कि कालू के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक था।
पशु-प्रेम की परंपरा और समर्पण
समीर का पशु-प्रेम नई बात नहीं है। इससे पहले भी उन्होंने रावेर में काम के दौरान एक अन्य कुत्ता ‘भूरू’ पाला था। भूरू का जन्मदिन भी धूमधाम से मनाया गया था और उसकी मृत्यु पर हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार भी किया गया था। भूरू के बाद जब उनका एक और कुत्ता गायब हो गया, तो कालू के साथ उनका रिश्ता और भी गहरा हो गया।
सीमित साधनों में बड़ा दिल
समीर शेख पेशे से ढाबे पर काम करने वाले एक रसोइए हैं और उनके साधन सीमित हैं। इसके बावजूद उन्होंने कालू के जन्मदिन पर करीब 7000 रुपए खर्च किए। समीर का कहना है कि जैसे वह अपने दो बच्चों का ख्याल रखते हैं, वैसे ही वे अपने पालतू जानवरों का भी पूरा ध्यान रखते हैं। समीर का मानना है कि जो भी पशु उनके पास आकर रहता है, वे उसे अपने बच्चों की तरह मानते हैं और उसकी पूरी देखभाल करते हैं।
लोगों की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर वायरल
समीर के इस अनोखे पशु-प्रेम की खबर तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां लोग उनके इस काम की सराहना कर रहे हैं। इस आयोजन ने एक सकारात्मक संदेश दिया है कि पशु भी परिवार का हिस्सा हो सकते हैं और वे भी हमारे प्रेम और देखभाल के उतने ही हकदार हैं जितने कि हमारे अपने। गांव के लोग भी इस आयोजन से प्रेरित हुए हैं और समीर के इस अनोखे कार्य की चर्चा कर रहे हैं।