Sucess Story: नौकरानी की बातों से मिली IAS बनने की प्रेरणा, पांच बार असफल होने के बाद भी बनीं अधिकारी
धा आनंद ने UPSC परीक्षा को छठे प्रयास में पास किया और अखिल भारतीय स्तर पर 13वीं रैंक हासिल की। उन्होंने बताया कि उन्होंने सिविल सेवा में आने का फैसला समाज सेवा करने के लिए लिया था।
राजस्थान कैडर की नई आईएएस अधिकारी मेधा आनंद की कहानी संघर्ष और सफलता का अद्भुत उदाहरण है। बरेली, उत्तर प्रदेश की रहने वाली मेधा ने सिविल सेवा में अपनी जगह बनाने के लिए छह प्रयास किए, पहले 5 प्रयास में मेधा आनंद को असफलता मिली लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः अपने छठे प्रयास में 2023 में अखिल भारतीय स्तर पर 13वीं रैंक हासिल की। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने हाल ही में मेधा आनंद को राजस्थान कैडर अलॉट किया है। उनके साथ ही UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2023 के 13 अन्य IAS अधिकारियों को भी राजस्थान भेजा गया है। राज्य की सरकार अब इन अधिकारियों को विभिन्न पदों पर तैनात करेगी।
असफलताओं से ली सीख
मेधा आनंद ने 2018 में सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। पहली बार में उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2019 में दूसरी बार प्रयास किया और 311वीं रैंक के साथ भारतीय रेलवे यातायात सेवा में चयनित हुईं। हालांकि, उनका सपना IAS बनना था। तीसरे प्रयास में वह कटऑफ के करीब पहुंचकर चूक गईं। 2021 और 2022 में भी सफलता हाथ नहीं लगी। लेकिन 2023 उनके जीवन का निर्णायक साल साबित हुआ, जब उन्होंने UPSC परीक्षा में टॉप 20 में जगह बनाई।
सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा
मीडिया से बातचीत में मेधा आनंद ने बताया कि उन्हें सिविल सेवा में आने की प्रेरणा अपनी मां और उनके घर काम करने वाली महिला से मिली। उन्होंने कहा, “हमारे घर काम करने वाली नौकरानी अपनी समस्याएं मेरी मां को बताती थीं। मैं समझती थी कि ऐसे कई लोग होंगे, जिनकी मदद करना सिर्फ प्रशासनिक सेवा के जरिए ही संभव है।”
पारिवारिक समर्थन और प्रेरणा
मेधा के पिता यूपी रोडवेज में मुख्य महाप्रबंधक हैं, जबकि मां पंजाब नेशनल बैंक में सहायक संयुक्त प्रबंधक हैं। दोनों ने अपनी बेटी को हर कदम पर प्रेरित किया और साथ दिया। मेधा आनंद जैसे अधिकारी राजस्थान के प्रशासन को नई ऊर्जा देंगे। उनकी सफलता केवल व्यक्तिगत नहीं है; यह समाज को यह संदेश देती है कि मेहनत और जुझारूपन से हर सपना पूरा किया जा सकता है।