अंजनी सिंह को मिला वफादारी का इनाम, CM के परामर्शी बनाये गये, सरकार ने खोला खजाना

PATNA - कल रिटायर हुए सूबे के पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह को सेवाकाल के दौरान वफादारी की इनाम मिल गया है. अंजनी कुमार सिंह को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त कर दिया गया है. नीतीश कुमार ने उन्हें अपना परामर्शी नियुक्त करते हुए सरकार की नीतियों के निर्धारण से लेकर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की जिम्मेवारी सौंपी है.  राज्य सरकार ने आज इसकी अधिसूचना जारी कर दी.


वफादारी का मिला इनाम

सियासी गलियारे में हो रही चर्चाओं के मुताबिक नीतीश कुमार ने अंजनी कुमार सिंह को सरकार से वफादारी का इनाम दिया है. अंजनी सिंह लंबे अर्से तक नीतीश कुमार के प्रधान सचिव रहे हैं. इसके बाद ही उन्हें सूबे का मुख्य सचिव बनाया गया. उनकी छवि सरकार के यस मैन के रूप में रही है. नीतीश कुमार ने जब जैसा चाहा, अंजनी कुमार सिंह ने तब तैसा किया.


सरकार ने खजाना खोला

मुख्यमंत्री के परामर्शी बनाये गये अंजनी कुमार सिंह के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है. उन्हें लाखों रूपये वेतन भत्ते के साथ साथ बंगला, गाड़ी और निजी स्टाफ की फौज की सुविधा मिलेगी. सरकार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है. ऐसे में उन्हें तकरीबन दो लाख रूपये वेतन-भत्ता मिलेगा. वहीं बड़ा सरकारी बंगला और लक्जरी गाड़ी की सुविधा भी मिलेगी. वे 6 निजी स्टाफ भी रख सकेंगे, जिनके वेतन का भुगतान सरकार करेगी.

अंजनी पर लगे दाग को सरकार ने भुलाया

मुख्य सचिव रहते अंजनी कुमार सिंह के कामकाज पर कई दफे गंभीर सवाल खड़े हुए. हाल में ही चारा घोटाले की सुनवाई कर रहे स्पेशल कोर्ट ने घोटाले में अंजनी सिंह की भूमिका पर कई टिप्पणी की थी. अंजनी कुमार सिंह को भी मामले में आरोपी बनाने की कवायद शुरू की गयी थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था. घोटाले के आरोपों पर आर जे डी से नाता तोड़ चुके नीतीश कुमार ने अंजनी सिंह पर लगे आरोपों को भुला दिया. वहीं बहुचर्चित मिट्टी घोटाले में भी अंजनी सिंह पर आरोप लगे थे. भाजपा नेता और फिलहाल सूबे के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने अंजनी कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाये थे. मोदी का आरोप था कि अंजनी सिंह ने सरकार के इशारे पर घोटाले को रफा दफा कर दिया था.


अधिकारियों को पहले भी मिला है पोस्ट रिटायरमेंट लाभ

सत्ता में आने के बाद नीतीश ने आलाधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद सेट्ल करने की परंपरा शुरू की थी. इसी परंपरा के तहत ज्यादातर मुख्य सचिवों और विकास आयुक्तों को सेवानिवृति के बाद कहीं न कहीं सेटल किया गया. ए के चौधरी, अशोक कुमार सिन्हा जैसे कई अधिकारी इस स्कीम के तहत लाभ पा चुके हैं. हाल में ही विकास आयुक्त शिशिर कुमार सिन्हा को वी आर एस देकर बीपीएससी का चेयरमैन बनाया गया था.