बिहार में ऑनलाइन हुआ स्व-घोषणा एवं वंशावली का प्रपत्र, ऑनलाइन करें जमा....

PATNA : बिहार में जारी भूमि सर्वेक्षण में रैयत अब अपनी भूमि का ब्यौरा ऑनलाइन भी जमा करा सकते हैं। साथ ही अपनी वंशावली को भी ऑनलाइन भेज सकते हैं। इसके लिए भू-अभिलेख और परिमाप निदेशालय ने सभी जरूरी तैयारी पूरी कर ली है। निदेशालय के वेबसाइट पर ’रैयत द्वारा धारित भूमि की स्वघोषणा‘ नाम से एक लिंक दिया गया है। लिंक के सहारे वेबसाइट पर जाकर अपनी जमीन का ब्यौरा और अपनी वंशावली अपलोड किया जा सकता है। भूमि के सर्वेक्षण में जमीन के ब्यौरा के लिए प्रपत्र-2 है जबकि वंशावली को 2 पृष्ठों के प्रपत्र-3;1में भरना है। कुल 22 प्रपत्र हैं, इसमें पहला प्रपत्र सर्वेक्षण की अधिघोषणा से है जबकि प्रपत्र 20 के जरिए सर्वेक्षण का अंतिम प्रकाशन किया जाता है। ये दोनों काम महत्वपूर्ण इसलिए हैं क्योंकि इनसे प्राप्त होने वाली जानकारी को शामिल किए बगैर सर्वे का काम आगे नहीं बढ़ सकता है। ये दोनों काम रैयत ही कर सकता है। किस रैयत के पास कितनी भूमि है, उसका खाता-खेसरा क्या है, रकवा कितना है, ये तमाम जानकारी कोई रैयत ही उपलब्ध करा सकता है। उसी तरह हरेक के पूर्वजों की सबसे बेहतर जानकारी भी उसी को होगा। जनप्रतिनिधि यानी मुखिया, सरपंच या फिर वार्ड सदस्य उसकी पुष्टि भर कर सकते हैं।
दरअसल, भूमि सर्वेक्षण में स्वघोषणा एवं वंशावली का काफी महत्व है। पैतृक संपत्ति के बारे में जानकारी के लिए रैयत के वंशावली की जरुरत होती है। जबकि स्वघोषणा के जरिए रैयत अपने द्वारा धारित भूमि के बारे में सरकार को जानकारी देता है। सर्वेक्षण का काम शुरु होने पर अमीन द्वारा सबसे पहले इससे संबंधित जानकारी इकट्ठा की जाती है।ऑनलाइन की सुविधा मिलने से राज्य से बाहर रहनेवाले लोगों को काफी सहूलियत होगी। पहले रैयतों को अपने द्वारा धारित भूमि के बारे में एक फाॅर्म भरकर अपने मौजा से संबंधित शिविर में जाकर जमा करना होता था। इसमें कई बार फाॅर्म के खो जाने की शिकायत मिलती थी। अमीन या फिर शिविर लिपिक द्वारा गड़बड़ी की शिकायत भी मिलती थी।
पिछले महीने राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री राम सूरत कुमार के कार्यालय कक्ष में भूमि सर्वे की विस्तृत समीक्षा हुई थी। उसी बैठक में मंत्री ने विशेष सर्वेक्षण कार्य में रैयतों से प्राप्त होनेवाली स्वघोषणा एवं वंशावली की प्रक्रिया को आसान बनाने एवं स्वघोषणा एवं वंशावली को ऑननलाईन प्राप्त करने की सुविधा बहाल करने का निदेश दिया था। वैसे रैयत जो बिहार से बाहर रहते हैं, उनसे भूमि आदि की विवरणी प्राप्त करने पर विशेष ध्यान देने की चर्चा भी हुई थी। सर्वे डायरेक्टर, जय सिंह ने कहा कि इससे दस्तावेजों को सुरक्षित और संरक्षित रखने में मदद मिलेगी और पारदर्शिता होगी।
भू-अभिलेख और परिमाप के प्रोग्रामर कुणाल किषोर और प्रिंस कुमार ने बताया कि इस सुविधा में कोई भी रैयत 3 एम0बी0 तक फाइल अपलोड कर सकता है। इसमें 10 पृष्ठ तक की सूचना आसानी से भेजी जा सकती है। अर्थात प्रपत्रों के 3 पृष्ठों के अलावा कुछ हद तक सहायक दस्तावेजों को भी अपलोड किया जा सकता है। किन्तु, दोनों प्रपत्रों को एक साथ पीडीएफ बनाकर और एक साथ ही अपलोड करना होगा। इसके लिए निदेशालय के वेबसाइट पर जाकर अपने फोन नंबर के साथ खुद को रजिस्टर कराना पड़ेगा और अपने मौजा और शिविर का चयन करने के बाद अपने द्वारा धारित ;स्वामित्वद्ध भूमि का खाता, खेसरा की जानकारी देनी है। भूमि संबंधी जानकारी को प्रपत्र में भरकर अपलोड करने की सुविधा पेज के आखिर में दी जाएगी। प्रपत्र सही तरीके से अपलोड होने के साथ ही रैयत के मोबाइल पर मैसेज जाएगा।
बता दें, बिहार में भूमि सर्वेक्षण का काम काफी प्राथ्मिकता के आधार पर किया जा रहा है। फिलहाल 20 जिलों के 90 अंचलों में 208 शिविर बनाए गए हैं जहां सर्वेक्षण कर्मी इस काम में लगे हुए हैं। इसके अलावा सर्वे निदेषालय ने उक्त 20 जिलों के बाकी बचे 130 अंचलों में भी शिविर गठन का काम पूरा कर लिया है और वहां फिलहाल टेरीज लेखन का काम किया जा रहा है। टेरीज खतियान के सार को कहते हैं और यह खतियान पूर्व के सर्वे के दौरान तैयार किया गया होता है। उक्त सुविधा नए 130 अंचलों के रैयतों के लिए ही दी गई है।
पटना से विवेकानंद की रिपोर्ट