BIHAR NEWS : सीएम नीतीश को तेजस्वी ने लिखा लेटर, कहा - स्वास्थ्य विभाग अपना बजट खर्च नहीं कर पाती, विधायक फंड के 636 करोड़ से क्या कर लेंगे

PATNA : बिहार के नेता प्रतिपक्ष के बनाए गए कोविड सेंटर को सरकार ने भले ही नकार दिया हो, लेकिन इसके बाद भी बिहार में महामारी को लेकर तेजस्वी का प्रयास जारी है। बिहार के अस्पतालों में भ्रमण करने की परमिशन पर सीएम नीतीश कुमार की तरफ से जवाब नहीं मिला हो, लेकिन इसके बाद भी तेजस्वी ने उन्हें एक और लेटर लिखा है। इस लेटर में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना और विधायक ऐच्छिक निधि कोष को लेकर ध्यानाकर्षित किया है। 

तेजस्वी ने लिखा है बिहार के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना का उपयोग क्षेत्र की असंतुलन कम करने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने लिखा है कि बिहार के दो तीन बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादतर जगहों पर स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद ही खराब है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए ही पूर्व में लिखे गए पत्र में बिहार के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की राशि को विधायकों द्वारा अनुसंशित करने की मांग की गई थी। तेजस्वी ने पत्र में लिखा है कि सरकार चाहे तो इस बात को लेकर अनिवार्यता कर दे कि विधायक इस राशि का प्रयोग सिर्फ कोरोना महामारी से लड़ने के लिए व्यवस्था को बेहतर करने के लिए ही करें, जिसके आधार पर सरकार उन जगहों पर जरुरी उपकरणों का क्रय करे।

जनता को अपने विधायक से उम्मीद

तेजस्वी ने लिखा कि महामारी में एक विधायक से उनकी क्षेत्र की जनता उम्मीद लगाती है कि वह उनकी सहायता करेगा। उन्होंने सरकार से पूछा है कि आखिर सरकार को इस पर आपत्ती क्यों है अगर विधायक इस राशि का प्रयोग अपने विधानसभा में खर्च करना चाहता है। तेजस्वी ने इसे वक्त की जरुरत बताते हुए लिखा है कि इस बात का अंदेशा है कि स्वास्थ्य विभाग में सांस्थानिक और संगठित भ्रष्टाचार के कारण ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से होना पड़ जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग अपना बजट भी खर्च नहीं कर पाती 

तेजस्वी यादव ने लेटर में लिखा है कि इस साल स्वास्थ्य विभाग का बजट 13 हजार करोड़ रुपए का रखा है। जिसमें शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सरंचना को बेहतर करने के लिए 2,659 करोड़ रुपए रखे गए हैं। ऐसे में बिहार के 318 विधायकों और एमएलसी के फंड के 636 करोड़ रुपए ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च करने की व्यवस्था की जाए। तेजस्वी यहीं पर नहीं रूके। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के काम पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले 15 साल में स्वास्थ्य विभाग इतनी बड़ी राशि से स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर नहीं कर सके, तो विधायकों के 636 करोड़ से कितना स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर कर पाएंगे। 

उन्होंने विधायकों के फंड को जबरन मुख्यमंत्री कोष में शामिल किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सरकार ने महामारी के पहले चरण में बजटीय राशि का प्रयोग कर लिया होता तो तो मानव संसाधन, बेड, ऑक्सीजन और स्वास्थ्य उपकरण की कमी के कारण लोगों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती। अगर स्वास्थ्य बजट का सदुपयोग होता तो स्वास्थ्य मंत्री को यह नहीं कहना पड़ता कि उन्हें वेंटिलेटर चलाने के लिए टेक्निशियन और डॉक्टर्स नहीं मिल रहे हैं