पीएम मोदी की अध्यक्षता में जयपुर मेंं हो रही डीजीपी और आईजी की बैठक, डीपफेक और रील्स पर रहेगा फोकस

पीएम मोदी की अध्यक्षता में जयपुर मेंं हो रही डीजीपी और आईजी की बैठक, डीपफेक और रील्स पर रहेगा फोकस

जयपुर- सोशल मीडिया, थ्री-डी टेक्नोलॉजी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार करना सियासी पार्टियों के लिए आसान हो गया है.  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आने वाले चुनाव में भ्रामक चीजों को प्रसार के प्रति उत्तरदाई हो सकता है. एआई की मदद से लोगों में भ्रांतियां फैल सकती हैं. इसका हालिया उदाहरण डीपफेक तकनीक है. डीपफेक की वजह से असली और नकली के बीच की फर्क करने में चुनौती पेश आ रही है. पीएम मोदी भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि डीपफेक सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं. उन्होंने स्वीकारा कि एक बार तो उन्होंने खुद को गरबा खेलते हुए देखा था. पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह के कई उदाहरण इंटरनेट पर मौजूद हैं, जो लोकतांत्रिक समाज में अराजकता फैला सकते हैं. 

देश में डीपफेक के बढ़ते खतरे और साइबर क्राइम की मुश्किलों के बीच देशभर के अलग-अलग राज्यों के डीजीपी और आईजी का सम्मेलन 5-7 जनवरी को जयपुर में हो रहा है.इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो रहे हैं. बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और उभरते तकनीक के बीच डीपफेक के खतरे को लेकर भी चर्चा होगी. रविवार तक चलने वाले इस सम्मेलन में भारतीय न्याय संहिता या यो कहें कि नए अपराध कानून का लागू करने को लेकर रोडमैप को लेकर चर्चा होगी. सम्मेलन में साइबर क्राइम, पुलिसिंग तकनीक, आतंकवाद से लड़ने की चुनौतियां, नक्सलवाद, जेल सुधार जैसे मुद्दों पर भी बात होगी.

डीजीपी-आईजी बैठक में सबसे ज्यादा जोर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  के आने के बाद डीपफेक के बढ़ते खतरे को लेकर होगी. इन खतरों से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा होगी. सम्मेलन में वास्तविक खतरे और उससे निपटने के लिए बनी कार्ययोजना भी पीएम को बताई जाएगी. हाल के दिनों में डीपफेक एक नए खतरे के रूप में सामने आया है. पुलिस अधिकारियों को इससे निपटने और इसको रोकने के लिए रणनीति बनानी होगी.

विशेषज्ञों का कहना है कि एआई को ध्यान में रखते हुए मौजूदा आईटी नियमों में तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है. इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन के सीईओ कनिष्क गौड़ कहते हैं, "सरकार जो नया डिजिटल इंडिया एक्ट लाने की योजना बना रही है, उसमें एआई को ध्यान में रखा जाना चाहिए और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसे लागू किया जाए."  


Editor's Picks