स्कूल को बना रखा था अपनी हवस का अड्डा, इस प्रिंसिपल ने छह साल में इतनी छात्राओं की लूटी इज्जत ... गिनना हुआ मुश्कील
डेस्क- एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली 142 नाबालिग लड़कियों ने अपने प्रिंसिपल पर गंदा काम करने का आरोप लगाया है.हरियाणा के जींद में प्रिंसिपल पर आरोप है कि वो छह साल से नाबालिग छात्राओं से गंदी हरकत कर रहा था.
हरियाणा के जींद में एक सरकारी स्कूल के प्राचार्य के खिलाफ 15 छात्राओं ने यौन शोषण की शिकायत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, नेशनल कमीशन फॉर वीमन और स्टेट कमीशन फॉर वीमन से की थी. अब इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. जींद के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद इमरान रजा ने बताया है कि एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई थी जिसकी पूछताछ में पता चला है कि 142 लड़कियों ने प्रिंसिपल पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. पीड़ित लड़कियों ने 31 अगस्त को राष्ट्रीय महिला आयोग को पांच पेज के हस्तलिखित पत्र में कहा था कि प्रिंसिपल एक महिला शिक्षक की मदद से छात्राओं का यौन उत्पीड़न कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने अपने कमरे की खिड़की में काला शीशा लगा रखा है.लड़कियों में से एक ने शिकायत में कहा कि एक महिला शिक्षक लड़कियों को प्रिंसिपल से मिलने के लिए उसके कमरे में भेजती है.
एसडीएम द्वारा गठित की गई टीम की जांच में स्कूल की कई लड़कियों से पूछताछ की गई है. 142 लड़कियों में से ज्यादातर ने बताया है कि उनके साथ प्रिंसिपल ने यौन शोषण किया है जबकि बाकी लड़कियों ने बताया है कि उनके सामने प्रिंसिपल ने ऐसी हरकत की है. इस मामले में 15 लड़कियों की शिकायत के बाद 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने पत्र पर संज्ञान लिया और कार्रवाई के लिए इसे जींद पुलिस को भेज दिया. हालांकि, यह भी आरोप था कि पुलिस ने केस दर्ज करने में देरी की.
आरोपी को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और 7 नवंबर को अदालत में पेश किया और उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.राज्य महिला आयोग ने पहले कहा था कि सरकारी स्कूल की 60 लड़कियां प्रिंसिपल के खिलाफ अपना बयान दर्ज कराने के लिए आगे आईं हैं. हालांकि, अब यह संख्या बढ़कर 142 हो गई है.प्राचार्य ने 142 छात्राओं के साथ या उनके सामने यौन शोषण किया है और यह पिछले 6 सालों में लगातार हुआ है. 142 छात्राओं ने प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.प्रिंसिपल के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए 16 नवंबर को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीप्ति गर्ग के नेतृत्व में छह सदस्यों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था.
सबसे बड़ा सवाल है कि पुलिस और प्रशासन के जिला अधिकारी समेत शिक्षा विभाग के अधिकारी से शिकायत के बाद भी कार्रवाई करने में इतनी देर क्यों हुई.