आनंद मोहन की रिहाई केस में आज अहम सुनवाई,अपने जवाब से सुप्रीम कोर्ट को कितना संतुष्ट कर पाएगी नीतीश सरकार, सबकी होगी नजर
NEW DELHI : बिहार के पूर्व सांसद एवं बाहुबली आनंद मोहन और बिहार की नीतीश सरकार के लिए आज का दिन बेहद अहम है। पूर्व सांसद की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई है। जहां इस बात का फैसला होगा कि आनंद मोहन की रिहाई के लिए बिहार में कानून बदलना कितना सही था। सुप्रीम कोर्ट में आज इस पर बिहार सरकार अपना जवाब देगी। बिहार सरकार अपने जवाब से सुप्रीम कोर्ट को कितना संतुष्ट करेगी, इस बात पर ही आनंद मोहन की रिहाई निर्भर होगी।
अगर सुप्रीम कोर्ट रिहाई के लिए कानून बदलने के गलत ठहराती है तो आनंद मोहन को एक बार फिर से जेल जाना पड़ सकता है।बता दें कि नीतीश सरकार ने इसी साल अप्रैल में जेल नियमावली में संशोधन किया था, जिसके बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ हुआ था. आनंद मोहन की रिहाई के फैसले की चौतरफा आलोचना हुई थी लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था। वहीं बिहार सरकार के फैसले के विरोध में गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैय्या की पत्नी उमा ने शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर की थी।
इस केस में 11 अगस्त को शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई थी। जिसमें न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के सामने नीतीश सरकार ने अपना जवाब पेश किया था जिसमें सरकार ने कहा कि सिर्फ आनंद मोहन ही नहीं बल्कि कुल 97 कैदियों को सजा में छूट देकर समय से पहले रिहा किया गया है।
97 कैदियों को किया गया था रिहा
हालांकि, तब न्यायाधीश ने पूछा था कि क्या रिहा किए गए सभी 97 कैदी लोकसेवक की हत्या में दोषी थे? इस दौरान कोर्ट ने बिहार सरकार को मामले में एडिशनल काउंटर एफिडेविट फाइल करने का निर्देश दिया था, जिस पर बिहार सरकार के सरकारी वकील रंजीत कुमार ने कहा कि वे विस्तृत में जानकारी जुटा कर सुप्रीम कोर्ट को बताएंगे. उसी के मुताबिक आज की सुनवाई में बिहार सरकार को अपना जवाब दाखिल करना है. अगर सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर जी कृष्णैय्या की पत्नी के पक्ष फैसला सुनाता है, तो आनंद मोहन को फिर से जेल जाना पड़ सकता है।
डीएम की हत्या के आरोप में 15 साल रहे जेल में
90 के दशक में आनंद मोहन सिंह की बिहार में तूती बोलती थी. आरोप है कि उनके अवैध काम में बाधा बनने की वजह से गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैय्या की 1994 में हत्या हो गई थी. इसका आरोप आनंद मोहन सिंह पर लगा था. मामले की लंबी सुनवाई के बाद आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा हुई थी, लेकिन फिलहाल वह रिहा कर दिए गए हैं. इसके बाद जी कृष्णैय्या की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आनंद मोहन की रिहाई को रद्द करने की मांग की
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