इंडी गठबंधन की बैठक आज, दिल्ली के अशोक होटल में सांसदों के निलंबन पर लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा देने पर विपक्षी नेता करेंगे चर्चा! भाजपा की बढ़ सकती है मुश्कील
डेस्क- पांच राज्यों के चुनाव में तीन राज्यों में मुंह की खाने के बाद विपक्षी इंडी गठबंधन की बैठक दिल्ली के अशोक होटल में आज होगी.विपक्ष के तमाम दिग्गज नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है.विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' के घटक दलों के प्रमुख नेताओं की बैठक आज दिल्ली में होगी. बैठक में अगले लोकसभा चुनाव के लिए सीट के बंटवारे, साझा जनसभाओं और रणनीति बनाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा होगी. यह बैठक हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में हो रही है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ( को हार का सामना करना पड़ा है. बैठक में शामिल होने के लिए ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे समेत विपक्षी गठबंधन के कई नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं.
इंडी गठबंधन की बैठक में लोकसभा चुनावों की रणनीति, न्यूनतम साझा कार्यक्रम, साझा प्रचार, सीटों पर तालमेल और संयोजक जैसे मुद्दों पर विचार होगा. लेकिन इस बैठक में संसद में जारी गतिरोध और विपक्ष के सांसदों के निलंबन पर भी चर्चा हो सकती है.बता दें तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा की जबर्दस्त जीत से विपक्ष को झटका लगा था. वहीं संसद में सुरक्षा में सेंध के मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों में फिर न सिर्फ आक्रामकता आई है बल्कि कुछ दिनों पहले अलग-अलग सुरों में बोल रहे गठबंधन के नेताओं के बीच एकजुटता भी दिखी. सूत्रों के अनुसार डी गठबंधन के नेता सीटों के तालमेल आदि के मुद्दों के साथ-साथ सांसदों के निलंबन के विरोध में भी कोई बड़ा कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं.
वहीं गठबंधन के मुख्य घटकों में से एक जनता दल यूनाइटेड के महासचिव और मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा है कि इंडी गठबंधन की बैठक में अगर सहमति बनी तो लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा जैसा कदम भी उठाया जा सकता है. त्यागी ने कहा कि हालांकि अभी इस मुद्दे पर विचार नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरह सरकार विपक्ष के नेताओं और सांसदों को निशाना बना रही है, उसका जवाब किसी बड़े राजनीतिक कदम से ही देना होगा.लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य रह चुके केसी त्यागी बताते हैं कि 1989 में भी ऐसी ही परिस्थिति बनी थी, जब चार सौ से ज्यादा बहुमत वाली राजीव गांधी सरकार ने तत्कालीन विपक्ष को संसद में अपनी आवाज नहीं उठाने दी थी, तब पूरे विपक्ष ने लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा दिया था और उसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हारी और विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चे की गठबंधन सरकार बनी थी जिसे बाहर से वाम मोर्चे और भाजपा दोनों का समर्थन प्राप्त था.
जदयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जब संसद में विपक्ष की आवाज नहीं सुनी जाती है तब उसे सीधे जनता के बीच जाना चाहिए. 1989 में हमने यही किया था और अब भी अगर सहमति बनी तो फिर विपक्ष सीधे जनता के बीच जाने के लिए लोकसभा से सामूहिक इस्तीफे का फैसला कर सकता है.