झारखंड विधानसभा चुनाव: भाजपा के सामने कई सियासी मुश्किलें,लोकसभा चुनाव में सभी सुरक्षित सीटों पर मात खाने के बाद सामने संकट मंडरा रहा..
झारखंड में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने हीं वाली है. यहां लोकसभा के चुनाव में भाजपा को आठ सीटें मिली . झारखंड में 26 फीसदी आबादी आदिवासियों की है और लोकसभा चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था.
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित खूंटी, सिंहभूम, लोहरदगा, दुमका और राजमहल पांच सीटों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी. भाजपा को टेंशन है कि इन लोकसभा सीटों के लिए 29 विधान सभा सीटें है.खूंटी लोकसभा सीट के अंतर्गत खरसावां (एसटी), तमाड़ (एसटी), तोरपा (एसटी), खूंटी (एसटी), सिमडेगा (एसटी), कोलेबिरा (एसटी) हैं. तो सिंहभूम लोकसभा सीट के अंतर्गत सरायकेला (एसटी), चाईबासा (एसटी), मझगांव (एसटी), जगनाथपुर (एसटी), मनोहरपुर (एसटी), चक्रधरपुर (एसटी) सीट है
बात करें लोहरदगा लोकसभा सीट की तो इसके अंतर्गत मांडर (एसटी), सिसई (एसटी), गुमला (एसटी), बिशुनपुर (एसटी), लोहरदगा (एसटी) सीटें हैं. तो दुमका लोकसभा सीट के अंतर्गत शिकारीपाड़ा (एसटी), नाला, जामताड़ा, दुमका (एसटी), जामा (एसटी), सारठ सीटें हैं. राजमहल लोकसभा सीट के अंतर्गत बोरियो (एसटी), राजमहल, बरहेट (एसटी), लिट्टीपाड़ा (एसटी), पाकुड़, महेशपुर (एसटी) सीट है. भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ 2 सीटों राजमहल और सिंहभूम पर इंडी गठबंधन को सफलता मिली थी तो साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन ने सभी पांचों सीटें पर अपना परचम फहराया है. इस हार से झारखंड भाजपा का नेतृत्व कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए शिवराज सिंह चौहान और हेमंता बिस्वा सरमा का प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.
भाजपा ने झारखंड को बेहद गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री और पार्टी के अनुभवी नेता शिवराज सिंह चौहान को यहां का प्रभारी बनाया है. हिंदुत्व की राजनीति के लिए पहचाने जाने वाले और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है. शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा के सामने पार्टी के वोट शेयर को बढ़ाने की चुनौती है.
झारखंड में इंडी गठबंधन में कांग्रेस, राजद, एनसीपी और सीपीआई एमएल शामिल हैं तो एनडीए में भाजपा और आजसू शामिल हैं.
बहरहाल लोकसभा चुनाव के रिजल्ट ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है. लोकसभा चुनाव के नीतिजों से इतना तो तय है कि झारखंड विधानसभा का चुनाव कांटे का होगा.