झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: समझें डालटनगंज विधानसभा सीट का राजनीतिक समीकरण, क्या कहते हैं आकंड़े
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में डालटनगंज विधानसभा सीट काफी दिलचस्प चुनावी मुकाबले का गवाह बनने जा रही है। इस सीट पर कई प्रमुख नेता और उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, जिसमें भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के नेता शामिल हैं।
डालटनगंज से प्रमुख उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से वर्तमान विधायक आलोक चौरसिया इस बार हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस की ओर से केएन त्रिपाठी, जैश रंजन पाठक, और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के राजेंद्र कुमार सिंह जैसे प्रमुख नाम चर्चा में हैं। इसके अलावा, दिलीप सिंह नामधारी, जो झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के पुत्र हैं, भी चुनावी दौड़ में हैं।
डालटनगंज का ऐतिहासिक महत्व
डालटनगंज शहर को 1861 में अंग्रेज कर्नल डाल्टन द्वारा बसाया गया था और इसे अब मेदिनीनगर के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र झारखंड के पलामू प्रमंडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां माओवादियों का प्रभाव रहा है। इस क्षेत्र में कमिश्नर और जोनल आईजी का कार्यालय भी स्थित है, जो इसे प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।
डालटनगंज विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास
इस सीट पर 1952 से लेकर अब तक कई प्रमुख नेता चुनाव जीत चुके हैं। इंदर सिंह नामधारी ने सबसे अधिक छह बार इस सीट पर जीत हासिल की है। वहीं, पूरन चंद ने चार बार विधायक के रूप में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2014 और 2019 में आलोक चौरसिया ने जीत हासिल की थी, जबकि 2009 में केएन त्रिपाठी कांग्रेस से विजयी हुए थे।
2014 और 2019 के चुनाव परिणाम
2019 में, भाजपा के आलोक चौरसिया को 103698 वोट मिले, जो कुल वोट का 47.57% था। कांग्रेस के केएन त्रिपाठी को 82181 वोट मिले, जो 37.7% था। 2014 में, झारखंड विकास मोर्चा के आलोक चौरसिया ने 59202 वोट (29.78%) के साथ जीत दर्ज की थी और बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे।
विधानसभा क्षेत्र की चुनौतियां
डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र में कई प्रमुख चुनौतियाँ हैं, जिनमें पेयजल संकट और पलायन मुख्य हैं। क्षेत्र का मेदिनीनगर शहरी इलाका गर्मी के दिनों में ड्राई जोन में बदल जाता है और पेयजल आपूर्ति में कमी होती है। इसके अलावा, क्षेत्र के चैनपुर, रामगढ़, और भंडरिया इलाकों में रोजगार के अभाव के कारण लोग पलायन करने को मजबूर हैं। नक्सलवाद की समस्या भी इस क्षेत्र में विकास की राह में एक बड़ी बाधा रही है।
2024 के चुनाव में संभावनाएं
इस बार का चुनाव भाजपा और इंडिया गठबंधन (जिसमें कांग्रेस और झामुमो शामिल हैं) के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। आलोक चौरसिया जहां अपने विकास कार्यों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं, वहीं कांग्रेस के केएन त्रिपाठी और अन्य नेता भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में हैं। दिलीप सिंह नामधारी की संभावित उम्मीदवारी भी चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।