अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक सफरनामा

न्यूज़ 4 नेशन डेस्क :  देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी की हालत अभी नाजुक बनी हुई है और फिलहाल वह एम्स में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं. देश के तमाम नेता और आमजन उनकी हालत में सुधार होने की कामना करने में लगे है. पर ताजा जारी बुलेटिन के अनुसार उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. देश में आज बीजेपी की जो स्थिति है वह वाजपेयी की देन है. बीजेपी को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में इनकी सबसे अहम भूमिका रही. 

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और मां का नाम कृष्णा देवी था. अटल जी ने बी.ए. की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज और कानपुर के डी.ए.वी. कालेज से राजनीति शास्त्र में एम. ए की शिक्षा ली.  उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल.एल.बी की पढ़ाई शुरू की पर 1950 के दशक की शुरुआत में आरएसएस की पत्रिका चलाने के लिए उन्होंने  कानून की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी.

राजनीतिक जीवन... 

वाजपेयी ने 1942-45 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी भूमिका निभाई थी. उस दौरान वह कुछ समय के लिए जेल भी गए थें.  वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और वर्ष 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहें. वाजपेयी की राजनीतिक करियर की शुरुआत 1951 में हुई और उन्होंने 1955 में लोकसभा का चुनाव लड़ा पर उन्हें हार मिली. दूसरी बार उन्होंने 1957  में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर संसद पहुंचे. उस दौरान वाजपेयी के असाधारण व्‍यक्तित्‍व को देखकर उस समय के वर्तमान प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह व्यक्ति जरूर प्रधानमंत्री बनेगा। 

अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद और दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहें. मोरारजी देसाई के शासनकाल में वह 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहें. 1980 में वह जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर पार्टी छोड़ दी और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गई. 6 अप्रैल 1980 को एक राजनीतिक दल के रुप में  भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ और पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपा गया. लगभग दो दशक के करीब विपक्ष में रहने के बाद भारतीय जनता पार्टी 1996 के लोकसभा चुनाव में देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने. हालांकि उनकी सरकार 13 दिनों में संसद में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करने के चलते गिर गई. 1998 के दोबारा लोकसभा चुनाव में पार्टी को ज्‍यादा सीटें मिलीं और कुछ अन्‍य पार्टियों के सहयोग से वाजपेयी ने एनडीए का गठन किया और वे फिर प्रधानमंत्री बने. यह सरकार 13 महीनों तक चली पर बीच में ही जयललिता की पार्टी ने सरकार का साथ छोड़ दिया जिसके चलते सरकार गिर गई. 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी फिर से सत्‍ता में आई और इस बार वाजपेयी ने अपना कार्यकाल पूरा किया।