पटना साहिब में रविशंकर को नहीं मिली मनमाफिक सफलता, पिछले चुनावों की तुलना में वोटों में भारी कमी, टेंशन में भाजपा
पटना. भाजपा के लिए पटना साहिब को सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. वर्ष 2009 के बाद से हर चुनाव में भाजपा ने पटना साहिब में बड़ी जीत हासिल की है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने जीत हासिल की हो लेकिन उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट देखने को मिली है. ऐसे में भाजपा को अपने गढ़ में ही मतदाताओं के बड़े आक्रोश का सामना करना पड़ा है और इसके पीछे बड़ी वजह रविशंकर को लेकर क्षेत्र में असंतोष को माना जा रहा है.
आंकड़ों को देखें तो पिछली बार 2019 लोकसभा चुनाव के अनुपात में जब रविशंकर प्रसाद को 6 लाख 7 हजार वोट मिला था उसकी तुलना में इस बार 5 लाख 88 हजार वोट मिला है. ये तब है जब पटना साहिब लोकसभा में लगभग 1 लाख मतदाता बढे हैं. ये साबित करता है कि इस बार भाजपा के उम्मीदवार को पिछले बार की तुलना में कम वोट मिला है. वोट प्रतिशत को देखें तो भाजपा उम्मीदवार को पिछले बार लगभग 62% मत प्राप्त हुआ था, जबकि इस बार लगभग 54% मत ही प्राप्त हुआ. यानी रविशंकर को मिलने वाला मत प्रतिशत 8% के आस पास कम है. ये दर्शाता है कि रवि शंकर प्रसाद की लोकप्रियता क्षेत्र में कम हुई है.
रवि शंकर प्रसाद 019 के लोकसभा चुनाव में 6 के 6 विधानसभा क्षेत्र से बढत हासिल किये थे जो इस बार 6 में से सिर्फ 4 विधानसभा में चुनाव जीते हैं और 2 विधानसभा फतुहा में लगभग 16 हजार से और बख्तियारपुर में लगभग 10 हजार से हारे हैं. इतना ही नहीं अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी रविशंकर प्रसाद को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है. पूरे 50 दिन के चुनाव प्रचार में निरंतरता से रविशंकर प्रसाद का उनके लोकसभा क्षेत्र में विरोध हुआ है, चाहे वो चुनाव बहिष्कार हो, जुलुस हो या इनके काफिले को काला झन्डा दिखाने का काम हो.
पिछले बार 2019 लोकसभा चुनाव में 2 बार के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा जैसे दिग्गज को 2 लाख 85 हजार के भारी अंतर से चुनाव हराया था और अबकी बार एक अंजान चेहरा जिसे ना की पटना की जनता जानती है ना ही कोई प्रसिद्ध चेहरा था, लेकिन इस बार कांग्रेस के अंशुल अविजीत को हराने में रविशंकर प्रसाद को नाको चने चबाना पड़ा. जीत का अंतर भी 1 लाख से ज्यादा घटा और सिर्फ 1 लाख 53 हजार के अंतर से चुनाव जीते हैं . ऐसे में भाजपा के सबसे सुरक्षित गढ़ यानी पटना साहिब में चुनाव परिणाम भले ही पक्ष में आया हो लेकिन आशा अनुरूप सफलता नहीं मिली.