Bihar News: बक्सर से त्रिनिदाद तक! गिरमिटिया मजदूर की विरासत बनी प्रधानमंत्री, अब मोदी से मुलाकात के बाद गांव को उम्मीद की आस
Bihar News: बक्सर के छोटे से गांव भेलूपुर का नाम अब वैश्विक पटल पर गूंज रहा है। कारण हैं त्रिनिदाद और टोबैगो की पूर्व प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर, जिनकी जड़ें इसी गांव से जुड़ी हैं।

Bihar News: बक्सर के छोटे से गांव भेलूपुर का नाम अब वैश्विक पटल पर गूंज रहा है। कारण हैं त्रिनिदाद और टोबैगो की पूर्व प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर, जिनकी जड़ें इसी गांव से जुड़ी हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी भेंट ने एक बार फिर इस गांव को सुर्खियों में ला दिया है। लेकिन इस चर्चा के पीछे एक लंबा और भावुक इतिहास छुपा है—गिरमिटिया प्रवास का इतिहास।
कमला का जन्म भले ही त्रिनिदाद में हुआ, पर उनकी आत्मा भारतीय है। उनके परदादा पंडित राम लखन मिश्रा 1880-90 के दशक में कलकत्ता पोर्ट से गिरमिटिया मजदूर के रूप में वोल्गा जहाज द्वारा कैरिबियाई द्वीप पहुंचे थे। वर्षों बाद, उसी विरासत ने त्रिनिदाद को एक भारतीय मूल की महिला प्रधानमंत्री दी। कमला का यह राजनीतिक उत्थान भारतीय प्रवासियों की संघर्षशीलता और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक है।
2012 में जब कमला अपने पैतृक गांव आईं थीं, तो उन्होंने कहा था—"जो कुछ भी मैं आज हूं, वह मेरे पूर्वजों के आशीर्वाद और इस भूमि के लोगों की वजह से है।" इस बयान ने न केवल भावना जगाई, बल्कि गांववासियों के दिलों में उम्मीद भी भर दी थी।
हालांकि, आज भी भेलूपुर विकास की बुनियादी ज़रूरतों से जूझ रहा है। स्वास्थ्य केंद्रों की कमी, शिक्षा व्यवस्था की जर्जर हालत और रोजगार की अनुपलब्धता गांव की हकीकत है। अब जबकि प्रधानमंत्री मोदी और कमला बिसेसर की मुलाक़ात हुई है, ग्रामीणों को भरोसा है कि यह प्रतीकात्मक क्षण अब ठोस विकास में बदलेगा।
कमला की कहानी महज़ एक राजनेता की नहीं, बल्कि उस इतिहास की है जो मजदूरों की पीड़ा, संघर्ष और फिर विजय की प्रेरणा देता है। यह विरासत बताती है कि जड़ें कितनी भी दूर हों, मिट्टी की सुगंध अंततः वैश्विक पहचान बन जाती है।
संदीप वर्मा की रिपोर्ट