पैसा जो न कराए ! कुर्सी पर रहते RCD के 'एक्जीक्यूटिव इंजीनियर' ने ऐसा किया गुनाह...मृत्यु के बाद भी आरोपों से नहीं मिली मुक्ति, सरकार ने दंडादेश को बरकरार रखा

PATNA: पैसे की लालच में पथ निर्माण विभाग के एक कार्यपालक अभियंता ने ऐसा किया गुनाह किया कि मृत्यु के बाद भी आरोपों से मुक्ति  नहीं मिली. आरोपी इंजीनियर की मृत्यु के बाद पत्नी सामने आई, फिर भी दाग खत्म नहीं हुए. पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ब्रजकिशोर प्रसाद ने अपने कार्यकाल में भारी गड़बड़ी की थी. उन आरोपों से वे मुक्त नहीं हो पाए. चहेते ठेकेदारों को टेंडर देने के मामले में कार्यपालक अभियंता के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई थी. सरकार ने उन्हें न्यूनतम कालमान वेतन में डिमोट कर दिय़ा था. 

जेडीयू नेताओं ने की थी शिकायत 

मुजफ्फरपुर पथ प्रमंडल संख्या-एक के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ब्रजकिशोर प्रसाद के खिलाफ मुजफ्फरपुर जिला जदयू के दो नेताओं ने शिकायत की थी. इसके बाद मुजफ्फरपुर अंचल के अधीक्षण अभियंता से जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी कार्यपालक अभियंता ब्रजकिशोर प्रसाद से 6 जुलाई 2018 को स्पष्टीकरण मांगा गया. लेकिन उन्होंने इसका जवाब समर्पित नहीं किया. जबकि इसके लिए नगर एवं आवास विभाग ने भी इन्हें निर्देशित किया था. स्पष्टीकरण नहीं देने के बाद 10 अक्टूबर 2018 को इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित की गई. जिसमें आरोप था कि कार्यपालक अभियंता ब्रजकिशोर प्रसाद ने पथों की मरम्मति, कार्यालय भवन एवं सरकारी आवासीय भवन की मरम्मति कार्य में वास्तविकता से अधिक का प्राक्कलन तैयार किया है. साथ ही 15 लाख रुपए से नीचे का प्राक्कलन तैयार किया, टेंडर का निष्पादन प्रचार प्रसार कर न कर टेबल टेंडर के माध्यम से करने और अपने चहेते संवेदकों के नाम पर काम देकर सरकारी राशि का गबन किए जाने की आरोप लगाए गए थे . संचालन पदाधिकारी ने 11 मार्च 2019 को जांच प्रतिवेदन समर्पित किया. जिसमें दो आरोपी के प्रमाणित नहीं होने एवं आरोप संख्या 3 के संबंध में कार्यपालक अभियंता द्वारा कार्य में लापरवाही बऱते जाने का निष्कर्ष दिया. 

बचाव में E.E. ने गजब का दिया था बयान- असमाजिक तत्वों ने करा दिया काम

अधीक्षण अभियंता उत्तर बिहार पथ अंचल मुजफ्फरपुर के जांच प्रतिवेदन और आरोपी कार्यपालक अभियंता ने अपने बचाव बयान में कहा था कि किसी असामाजिक तत्व के द्वारा पीडब्ल्यूडी कार्यालय परिसर के पहुंच पथ, प्रमंडलीय कार्यालय की मरम्मति, कार्यालय भवन के सामने पोर्टिको का निर्माण कार्य, पीडब्ल्यूडी कॉलोनी में वर्ग-3 के कर्मचारियों के आवासीय परिसर की चाहरदीवारी का कार्य प्राक्कलन के पूर्व ही प्रारंभ कर दिया गया। कार्यपालक अभियंता के इस जवाब से स्पष्ट हो गया कि इन्होंने गड़बड़ी की. अगर बिना टेंडर के असमाजिक तत्वों ने काम कराया तो इन्होंने न तो वरीय पदाधिकारी को इसकी सूचना दी और न ही तथाकथित असामाजिक तत्वों के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की. इससे स्पष्ट होता है कि आरोपी कार्यपालक अभियंता ने अपने चहेते ठेकेदारों के माध्यम से टेंडर से पहले ही कार्य करा कर टेबल टेंडर करने की मंशा थी. 

2 अक्टूबर 23 को ही आरोपी E.E. की हो चुकी है मृत्यु- पत्नी

पथ निर्माण विभाग के इस कार्यपालक अभियंता द्वारा कार्यकाल में की गई इस गड़बड़ी के बाद न्यूनतम कालमान वेतन में स्थाई रूप से अवनति का दंड देने का निर्णय लिया गया. पथ निर्माण विभाग के इस प्रस्ताव पर बिहार लोक सेवा आयोग ने भी सहमति व्यक्त की. इसके बाद 24 जनवरी 2022 को ही आरोपी कार्यपालक अभियंता ब्रजकिशोर प्रसाद को न्यूनतम कालमान वेतन में स्थाई रूप से डिमोट करने का दंड दिया गया. सरकार के इस आदेश के खिलाफ कार्यपालक अभियंता ब्रजकिशोर प्रसाद पटना हाई कोर्ट पहुंच गए. पटना हाईकोर्ट ने 22 जून 2022 को आदेश पारित किया. उक्त आदेश के आलोक में इन्होंने 7 अगस्त 2023 को विभाग में पुनर्विलोकन अर्जी समर्पित किया। इसी बीच आरोपी कार्यपालक अभियंता की पत्नी आशा प्रसाद ने पथ निर्माण विभाग को सूचित किया कि 2 अक्टूबर 2023 को ही उनके पति का निधन हो गया है. ऐसे में 12 मार्च 2024 को होने वाली सुनवाई में उन्हें उपस्थित होने की इजाजत दी जाए. 

12 मार्च 24 को ACS के यहां सुनवाई में पत्नी हुईं हाजिर..नहीं मिली राहत 

पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव ने 12 मार्च 2024 को इस मामले की सुनवाई की. जिसमें कार्यपालक अभियंता ब्रजकिशोर प्रसाद की पत्नी आशा प्रसाद उपस्थित हुईं और दंड को निरस्त करने का अनुरोध किया. इस मामले की विस्तृत समीक्षा की गई.जिसमें पाया गया कि स्वर्गीय ब्रजकिशोर प्रसाद तत्कालीन कार्यपालक अभियंता द्वारा समर्पित अर्जी में कोई नया तत्व या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, बल्कि पुरानी बातों को ही दोहराया गया है. पत्नी आशा प्रसाद के द्वारा भी कोई ठोस तर्क प्रस्तुत नहीं किया गया. जिस आधार पर दंडादेश को निरस्त किया जा सके. इसकेल बाद अर्जी को खारिज कर दिया गया. इस तरह से पति के डिमोट होने वाले सरकार के आदेश को पत्नी वापस नहीं करा सकी. इस संबंध में पथ निर्माण विभाग की तरफ से 3 मई को अधिसूचना जारी कर दी गई है.