लालग्रह पर जीवन की तलाश, वैज्ञानिकों को मिला हैरान करने वाला सबूत, पृथ्वी के अलावा कहीं और भी है जीवन?
न्यूयॉर्क: कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां लाल ग्रह पर जीवन की खोज कर रही है. इसको अब झटका लगा है. वैज्ञानिक पता लगाने में जुटे थे कि मंगल ग्रह का वायुमंडल और वातावरण आदमियों के रहने के उपयुक्त है या नहीं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंग ग्रह पर जीवन की अरसे से चल रही तलाश को बड़ा झटका दे दिया है.
वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार मंगल ग्रह पर जो हालत है वह मानव जिन्दगी के पनपने के लिहाज से काफ़ी सख्त हैं. ये बंजर है. काफी ठंडा है. वहां औसत तापमान -60 डिग्री सेल्सियस रहता है. जाड़ों में मंगल के ध्रुवों का तापमान तो -126 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है.
वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार मंगल का वायुमंडल बहुत कमजोर है. इतना कमजोर कि अंतरिक्ष से रेडियोएक्टिव किरणों की मंगल पर जैसे बमबारी सी होती रहती है. फिर मंगल पर ऑक्सीजन भी बेहद कम है. इतनी कम कि मंगल के वायुमंडल में केवल पांच प्रतिशत ऑक्सीजन है. इसके अलावा कार्बन डाई ऑक्साइड है. ऐसे में मंगल पर जिंदगी के पनपने की संभावना लगभग न के बाराबर है.
नासा के मिशन प्लानर एक बंद हो चुके मिशन से मिले डेटा का इस्तेमाल यह निर्धारित करने के लिए कर सकते हैं कि भविष्य के रोबोट मिशनों के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्री दल को मंगल पर कहां उतारा जाए.इनसाइट मिशन को दिसंबर 2022 में तब समाप्त घोषित कर दिया गया था, जब इस मिशन का लैंडर अपने सौर पैनलों पर मंगल ग्रह की धूल के जमाव को साफ नहीं कर सका था
मंगल ग्रह पर अपने समय के दौरान, इनसाइट ने अपने सीस्मोमीटर का उपयोग 1,300 से अधिक भूकंपों का पता लगाने के लिए किया, जो तब होते हैं जब दबाव और गर्मी के कारण मंगल ग्रह की सतह में दरार आ जाती है. लेकिन इनसाइट ने मंगल ग्रह पर उल्कापिंडों के टकराने के साक्ष्य भी कैप्चर किए.
मंगल ग्रह के वायुमंडल में पृथ्वी के वायुमंडल की मोटाई का केवल एक फीसदी है, जिसका अर्थ है कि अधिक उल्कापिंड बिना विघटित हुए इसके माध्यम से निकल जाते हैं. नए गड्ढों की खोज2021 से, शोधकर्ताओं ने इनसाइट के डेटा पर गहन अध्ययन किया है और पाया है कि अंतरिक्ष की चट्टानें मंगल ग्रह पर पहले से कहीं ज्यादा बार बमबारी करती हैं, जो कि पिछले अनुमानों से दो से 10 गुना ज्यादा है.
नासा के मुताबिक, मंगल ग्रह के केंद्र में भूकंपीय तरंगे मौजूद हैं. नासा को इनसाइट लैंडर से मिले डाटा के विश्लेषण से ये भी पता चला कि मंगल ग्रह के केंद्र पिघला हुआ लोहा और लोहे से बनने वाली कई धातुएं मौजूद हैं. इन धातुओं में सबसे ज्यादा सल्फर और ऑक्सीजन पाया गया है.
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार सल्फर और ऑक्सीजन मिलने का अर्थ है कि मंगल का केंद्र धरती के केंद्र से कम घना है. इससे ये भी साफ होता है कि मंगल और धरती के बनने के हालात अलग थेकिसी भी ग्रह के केंद्र से ही उसके बनने और फिर विस्तार की जानकारी मिलती है. इस प्रक्रिया से पता चलता है कि ग्रह पर जीवन की उम्मीद है या नहीं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, हमारे ग्रह पृथ्वी के केंद्र में एक चुंबकीय क्षेत्र है. ये चुबकीय क्षेत्र ही हमें सूर्य पर आने वाले सौर तूफानों के असर से बचाते है. इसके उलट मंगल ग्रह के केंद्र में चुबकीय क्षेत्र नहीं होने के कारण वहां जीवन संभव नहीं है.बहरहाल मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाश रहे वैज्ञानिकों को झटका लगा है.