बगहा में 30 कहानियों के संग्रह 'आ अब लौट चलें' पुस्तक का हुआ विमोचन, लेखक ने गरीबी, लाचारी और कई कुरीतियों का किया वाख्यान

बगहा में 30 कहानियों के संग्रह 'आ अब लौट चलें' पुस्तक का हुआ विमोचन, लेखक ने गरीबी, लाचारी और कई कुरीतियों का किया वाख्यान

BAGAHA: पश्चिम चम्पारण के बगहा में इंडो नेपाल सीमा पर स्थित शहर के रामधाम मोहल्ले में 30 कहानियों के संग्रह 'आ अब लौट चलें' पुस्तक का विमोचन महात्मा गांधी जयंती पर गणमान्य लोगों द्वारा किया गया। इस से समाज को जोड़ने में काफ़ी मदद मिलेगी। बताया जा रहा है कि नगर के रामधाम मिर्ज़ा टोला वार्ड नं 26 निवासी लेखक अब्दुल गफ़्फ़ार ने 30 कहानियों को संग्रहित कर आ अब लौट चलें पुस्तक की रचना की है। जो आसानी से अमेज़न व फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है। इतना ही नहीं इंडियन ऐज बुक की वेबसाइट पर भी यह पुस्तक उपलब्ध है।

बता दें कि, इस कहानी संग्रह पुस्तक की क़ीमत 300 रुपये है। पुस्तक में मुस्लिम समाज की कुरीतियों के साथ साथ ग़रीबी औऱ मजदूरों की लाचारी के अलावा विधवाओं के दर्द का बखान किया गया है ।  सबसे बड़ी बात यह है कि आपसी मोहब्बत की इस इंसानी जिंदगी में क्या महत्ता है इसको यहां दर्शाया गया है। तो वहीं कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में हुई तबाही के मंजर व आम आदमी के परेशानियों का बख़ूबी जिक्र किया गया है। 

 साहित्यकार अब्दुल गफ़्फ़ार की यह पहली पुस्तक है जिसमें 30 अलग अलग कहानियों के ज़रिए समाज को आपसी मोहब्बत के साथ जोड़ने की कोशिश की गई है। इस पुस्तक के ज़रिए विभिन्न पहलुओं को छूने का लेखक ने प्रयास किया है ताक़ि हम एकजुट होकर सशक्त बनें। 

आ अब लौट चलें पुस्तक विमोचन में मशहूर साहित्यकार डॉ. सीमा स्वधा व प्रोफेसर दीपक राही के साथ साथ दिल्ली से आये पत्रकार मनोहर मनोज औऱ अधिवक्ता अखिलेश्वर नाथ त्रिपाठी के अलावा कई साहित्यकार मौजूद रहे।

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