बांका की शिक्षिका का पढ़ाने की तरीका अनोखा, सोशल मीडिया पर खूब हो रहा है वायरल

बांका की शिक्षिका का पढ़ाने की तरीका अनोखा, सोशल मीडिया पर खूब हो रहा है वायरल

BANKA : आपने तो यह कहावत सुनी ही होगी घड़े की किस्मत कुम्हार के हाथों में होती है इसी प्रकार एक बच्चे की किस्मत उनके गुरु  या मां बाप के हाथों में होता है क्योंकि एक शिक्षक का बच्चों के  भविष्य का  निर्माण करने में अहम भूमिका होता है। इसीलिए यह भी कहा जाता है कि मां बाप के बाद अगर किसी का स्थान होता है तो वह शिक्षक का होता है आज के समय में अच्छा शिक्षा मिलना मुश्किल है यह सिर्फ एक  बिजनेस बनकर ही रह गया है, लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे हैं जो शिक्षा को व्यवसाय नहीं बल्कि भविष्य निर्माण करने की ओर अपने आप को निछावर कर देते हैं।  हम आपको एक ऐसी शिक्षिका के बारे में बताने जा रहे हैं जो बच्चों को अपनी संतान समझकर उन्हें अच्छी शिक्षा देकर उनकी अच्छी भविष्य के लिए जागरूक करती है। आपको बता दे कि बांका जिला के कटोरिया प्रखंड अंतर्गत प्रो. मध्य विद्यालय कठौन में कार्यरत शिक्षिका खुशबू कुमारी है जो आए दिन सोशल मीडिया पर अपने अलग-अलग अंदाज से बच्चों को पढ़ाते हुए वायरल हो रही है।

शिक्षिका खुशबू कुमारी  बताती है आज मैं अगर बच्चों को इस प्रकार की गतिविधि के द्वारा शिक्षा दे रही हूं तो इसका मुख्य भूमिका की किरदार हमें पढ़ाने वाले गुरुजी क्योंकि बचपन में जब मैं स्कूल जाया करता था तो उस समय विज्ञान की शिक्षक जितेंद्र सर के द्वारा हमेशा कुछ ऐसे तरीके से पढ़ाया जाता था जो सभी बच्चों को आसानी से समझ में आता था।और आज मैं भी उन्हीं के रास्ते पर चल रहा हूं और भाग्य से मैं भी आज विज्ञान की शिक्षिका  के रूप में इस स्कूल में कार्यरत हूं

शिक्षिका खुशबू कुमारी बताती है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने में पति मनीष कुमार आनंद का भी बहुत बड़ा योगदान है बताती है कि आज के इस आधुनिकता की  दौर में सोशल मीडिया पर आना किसी जंग से कम नहीं है और कई बार हताश होकर मैं छोड़ने की भी बात कही थी लेकिन उन्होंने हिम्मत देकर, कहा कि दुर्गुणों को छोड़कर अच्छाइयों को अपना कर, अपने बच्चों की भविष्य को  सुधारने और बताएं कि आपकी एक वीडियो कई बच्चों की भविष्य को भी बदल सकती है और आप इसे लगातार जारी रखें। 

उन्होंने बताया कि बच्चों को पढ़ाई से अधिक खेलकूद नाच गान काफी पसंद और हमें बच्चों को अच्छी शिक्षा देना  है तो मुझे लगा कि क्यों ना बच्चों को खेल कूद नाच गान के माध्यम से ही पढ़ाया जाए और फिर मैं बच्चों से पूछ कर गतिविधि के माध्यम से पढ़ती हूं और बच्चों को भी अच्छा लगता है और याद भी रहते हैं इस गतिविधि के माध्यम से हमारे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति दर को भी बड़ा है इससे बच्चों के अलावा उनके अभिभावक भी काफी प्रसन्न है।

शिक्षिका बताती हैं कि 2013 से मैं  इस गतिविधि के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दे रही हूं लेकिन 2022 में सरकार के द्वारा चहक कार्यक्रम की शुरुआत के बाद,बच्चो को गतिविधि के माध्यम से पढ़ाई करना और भी आसान हो गया।

बांका से चंद्रशेखर कुमार भगत कि रिपोर्ट।

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