बगहा के दरदरवा,अवराहिया, शीतलबाड़ी में आदिवासियों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया पारंपरिक पर्व नयोगेला

बगहा के दरदरवा,अवराहिया, शीतलबाड़ी में आदिवासियों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया पारंपरिक पर्व नयोगेला

बगहा के रामनगर के दरदरवा,अवराहिया, शीतलबाड़ी समेत अन्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बड़े हर्ष और उत्साह के साथ नयोगेला उरांव पर्व  मनाया गया. आदिवासी उरांव समुदाय के महिला पुरुष दीपावली के दूसरे दिन रात में आदिवासी पर्व नयोगेला पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

 नयोगेला पर्व पर आदिवासी नृत्य प्रस्तुत करती आदिवासी महिला, युवतियां और पुरुष जश्न के रूप में दीपावली के दूसरे दिन पर्व को नाच गाकर उत्सव के रूप में मनाते हैं. उरांव समुदाय के संजय उरांव, गुमस्ता दीपक उरांव, मंजीता उरांव समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि यह पर्व उरांव समुदाय के लिए एक जश्न के रूप में मनाया जाता है.आज के दिन इस समुदाय की महिलाएं चावल के आटे का पिट्ठा बनाती हैं और लोगों में प्रसाद के रूप में बांटती हैं.

वहीं आज के दिन उरांव समाज के पुरुष मुख्य रूप से मांस मदिरा का सेवन करते हैं जो इस पर्व का परंपरा है . लव उरांव ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से हमारे कुल देवता प्रसन्न होकर हमें स्वस्थ और सुखी होने का आशीर्वाद देते हैं.दीपावली के दूसरे दिन उरांव समाज की महिलाएं अपने कुल देवता को खुश करने के लिए सजधज कर आदिवासी गीत गाती और नाचती है .

बगहा व रामनगर प्रखंड के दोन क्षेत्र के दरदरवा, अवराहिया, शीतलबाड़ी समेत आदिवासी उरांव बहुल क्षेत्रों में बड़े हर्ष और उत्साह के साथ घरी पूजा की शुरुआत हुई। जिसमें आदिवासी महिलाओं ने पुरुषों के सामने अपना पारंपरिक नृत्य झुमुर पर पूरी रात घूमती रही. आदिवासी उरांव समुदाय के महिला- पुरुष दीपावली के दूसरे दिन रात्रि से आदिवासी पर्व घरी पूजा पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इस पर्व पर आदिवासी समुदाय के लोग जश्न के रूप मानते हैं. दीपावली के दूसरे दिन पर्व को नाच गाकर उत्सव के रूप में मनाते हैं.

 उरांव समुदाय के संजय उरांव, पूर्व मुखिया नरेश उरांव गुमस्ता दीपक उरांव, मंजीता उरांव समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि यह पर्व उरांव समुदाय के लिए एक जश्न के रूप में मनाया जाता है. महिलाएं चावल के आटे का पिट्ठा बनाती हैं और लोगों में प्रसाद के रूप में बांटती हैं. दीपावली के दूसरे दिन उरांव समाज की महिलाएं अपने कुल देवता को खुश करने के लिए सजधज कर आदिवासी गीत गाती और नाचती है.

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