वाल्मिकीनगर लोकसभा क्षेत्र : राजद के उम्मीदवार हरियाणा से तो असम से चुनाव लड़ने आए उल्फा के पूर्व कमांडर, बड़े चक्रव्यूह में फंसा जदयू का तीर

वाल्मिकीनगर लोकसभा क्षेत्र : राजद के उम्मीदवार हरियाणा से तो असम से चुनाव लड़ने आए उल्फा के पूर्व कमांडर, बड़े चक्रव्यूह में फंसा जदयू का तीर

पटना. लोकसभा चुनाव के छठे चरण में बिहार के वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र में मतदान होना है. चुनाव भले वाल्मीकिनगर में हो लेकिन यहां देश के कई राज्यों की निगाह है. वजह है राजद के उम्मीदवार दीपक यादव का हरियाणा मूल का होना. इसी तरह दो बार के सांसद और उल्फा के पूर्व कमांडर नबा कुमार सरानिया उर्फ हीरा सरानिया भी असम से चुनाव लड़ने वाल्मिकीनगर आए हैं. इन सबके बीच पिछले लोकसभा उपचुनाव में 22 हजार वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल करने वाले जदयू के सुनील कुमार इस बार नए सियासी चक्रव्यूह में फंसे नजर आ रहे हैं. 

जदयू को कड़ी चुनौती : वाल्मीकिनगर पहले बगहा लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. 2008 में परिसीमन के बाद यह वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र बन गया। 2009 के बाद से, एनडीए के उम्मीदवार यहां जीतते रहे हैं जिसमें तीन बार जेडीयू और एक बार बीजेपी ने जीत हासिल की. लेकिन इस बार, महागठबंधन के उम्मीदवार दीपक यादव राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं और जदयू के सुनील कुमार को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। सुनील कुमार के पिता बैद्यनाथ महतो ने 2009 और 2019 में यहाँ चुनाव जीता. लेकिन बैद्यनाथ महतो ने वाल्मिकीनगर में 2019 में कांग्रेस के शाश्वत केदार को 3.5 लाख से अधिक वोटों से हराया. वहीं उनके निधन के बाद 2020  में उपचुनाव हुए तो सुनील कुमार 22 हजार से कुछ ज्यादा वोट से ही जीत पाए. यही इस बार सुनील की बड़ी चिंता है. 

राजद उम्मीदवार 'बाहरी': हालाँकि वाल्मीकिनगर में राजद ने जिस दीपक यादव को उम्मीदवार बनाया है वे हरियाणा मूल के हैं. राजद के उम्मीदवार दीपक यादव एक स्थानीय चीनी मिल मालिक हैं जो हरियाणा के रहने वाले हैं। वे क्षेत्र के गन्ना उत्पादक किसानों की बड़ी आबादी में लोकप्रिय हैं। दो अन्य चीनी मिल मालिकों ने भी चुनाव में दीपक यादव को अपना समर्थन दिया है। ऐसे में गन्ना किसानों की बड़ी तादाद वाले वाल्मीकिनगर में यह दीपक यादव के लिए एक बड़े समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है. हालाँकि, जब तक दीपक को राजद से चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिला तब तक वे भाजपा के सक्रिय सदस्य थे। इस पर सफाई देते हुए दीपक कहते हैं कि “हां, मैं लंबे समय तक भाजपा में था, लेकिन जब विपक्षी राजद ने सीट से मेरी उम्मीदवारी में रुचि दिखाई, तो मैंने राजद के टिकट के साथ संसद में क्षेत्र के लोगों की आवाज उठाकर उनकी सेवा करने का निर्णय लिया। मैं लगभग 17 वर्षों से क्षेत्र में सामाजिक कार्य कर रहा हूं. 'उनके सुख-दुख का साथी हूँ. वे हरियाणा का होने के कारण खुद पर बाहरी होने का ठप्पा लगने पर दीपक का कहना है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी में बाहरी व्यक्ति नहीं हैं? क्या राहुल गांधी रायबरेली में बाहरी व्यक्ति नहीं हैं?”  

उल्फा कमांडर की थारू पर नजर : इसी तरह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के पूर्व कमांडर नबा कुमार सरानिया उर्फ हीरा सरानिया भी वाल्मीकिनगर से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने वर्ष 2020 में जन सुरक्षा पार्टी (जेएसपी) का गठन किया था. पूर्व उल्फा कमांडर 2014 और 2019 में दो बार असम की कोकराझार सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सांसद रह चुके हैं. इस बार कुछ तकनीकी कारणों से उनका नामांकन कोकराझार में रद्द हो गया. इसे उन्होंने कोर्ट में चुनौती दी है. साथ ही असम छोड़कर वाल्मीकिनगर से चुनाव में उतर गये हैं. उन पर कई तरह के गंभीर आपराधिक आरोप भी हैं. 55 वर्षीय सरानिया के वाल्मीकिनगर से चुनाव में उतरने के पीछे बड़ा कारण यहाँ के थारू जाति के मतदाता हैं. 

जातीय समीकरण बेहद अहम : वाल्मीकिनगर लोकसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 17 लाख 66 हजार 922 है. इनमें थारू आदिवासी मतदाताओं की संख्या करीब 2.57 लाख, ब्राह्मण तीन लाख, मुस्लिम 2.85 लाख, यादव 1.60 लाख, कुशवाहा 1.65 लाख, मल्लाह 65 हजार, राजपूत व कायस्थ 65 हजार, वैश्य 2.50 लाख और दलित 2.50 लाख हैं. यहां तमाम पार्टियों की नजर थारुओं के वोट पर रहती है. हर चुनाव में उनकी भूमिका निर्णायक रहती है. इसी थारू आदिवासी मतदाताओं पर नजर रखकर नबा कुमार सरानिया ने यहां से ताल ठोकने का फैसला लिया. इससे जदयू और राजद दोनों की नींद हराम हो गई है. थारू समुदाय लम्बे समय से प्रमुख सियासी दलों से अपने लिए राजनितिक प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहा है. लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ. अब नबा कुमार सरानिया इसे बड़ा राजनितिक मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में उतरे हैं. इतना ही नहीं भाजपा के बागी दिनेश अग्रवाल और कांग्रेस से गत चुनाव में प्रत्याशी रहे प्रवेश मिश्रा भी निर्दलीय खड़े हैं. इन दोनों के चुनाव लड़ने से एनडीए और महागठबंधन दोनों के परम्परागत वोटों में सेंधमारी की संभावना प्रबल हो गई है. 

NDA विधायकों का दबदबा : वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं, जिनमें वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया और सिकटा विधानसभा सीटें शामिल हैं. वाल्मीकिनगर में जदयू के धीरेंद्र प्रताप सिंह, रामनगर में भाजपा की भागीरथी देवी, नरकटियागंज में भाजपा की रश्मि देवी, बगहा में भाजपा के राम सिंह, लौरिया में भाजपा के विनय बिहारी और सिकटा में सीपीआई एमएल-एल के बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता विधायक हैं. छह में से पांच विधानसभा में एनडीए के विधायक होने से जदयू प्रत्याशी सुनील कुमार के लिए यह एक मजबूत पक्ष है. अब 25 मई को यहां मतदान होगा. 

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