वाह रे जुमलेबाज़ सरकार... बिहार में एम्स निर्माण लटकाकर केंद्र ने जाहिर किया विकास रोकने का अपना मकसद, जदयू ने मोदी सरकार को घेरा

पटना. दरभंगा एम्स के मुद्दे पर बिहार के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने रविवार को मोदी सरकार की विकास की सोच और नीतियों पर प्रश्न खड़ा किया है. उन्होंने कहा है कि दरभंगा में एम्स निर्माण के लिए बिहार सरकार ने जरूरत से ज्यादा भूमि उपलब्ध कराने की बात कही. बिहार सरकार ने अपने खर्च पर उस भूमि को विकसित करके देने की बात कही. बवजूद इसके केंद्र की मोदी सरकार ने हमारे ऑफर को ठुकरा दिया. यह दिखाता है कि विकास को लेकर केंद्र सरकार की क्या सोच है?
दरअसल, दरभंगा एम्स को लेकर यह विवाद शनिवार को पीएम मोदी के सम्बोधन के बाद शुरू हुआ. पीएम मोदी ने कहा था कि दरभंगा एम्स की शुरुआत हो चुकी है. उनके इस दावे पर बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन ने आपत्ति जताई और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने पीएम के दावों को झूठा कहा. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने एक पत्र जारी कर केंद्र सरकार का बचाव किया. हालांकि उनके दावों पर तेजस्वी यादव ने फिर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि बिहार सरकार ने दरभंगा के शोभन बायपास जैसी बेहतर लोकेशन पर निःशुल्क 151 एकड़ भूमि केंद्र को हस्तांतरित की है जिसमें मिट्टी भराई का 300 करोड़ अतिरिक्त व्यय भी राज्य सरकार वहन कर रही है. लेकिन केंद्र सरकार राजनीतिक कारणों से इसे अटकाए हुए है.
अब तेजस्वी का साथ वित्त मंत्री विजय चौधरी ने भी दिया है. उन्होंने भी दरभंगा एम्स विवाद के पीछे केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने मोदी सरकार से सवाल किया है कि जब बिहार सरकार अपने स्तर पर भूमि को विकसित कर दे रही है तब भी आखिर क्या वजह है कि केंद्र उसे अस्वीकार कर रही है. यह दिखाता है कि विकास के प्रति केंद्र सरकार का कैसा नजरिया है.
इसके पहले जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने भी केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने पीएम मोदी को टैग करते हुए कहा, अपने स्वास्थ्य विभाग से ठीक से जानकारी प्राप्त कर लीजिए। दरभंगा एम्स के लिए राज्य सरकार ने जमीन दी है और वहां पर मिट्टी भराई के लिए अलग से 250 करोड़ रुपये स्वीकृत भी किए हैं। लेकिन उस जमीन पर आपकी केंद्र सरकार एम्स बनाने को तैयार नहीं है। इसका मकसद बिहार में एक एम्स के निर्माण को लटकाना है और आप कह रहे हैं कि एम्स खुल गया। वाह रे जुमलेबाज़ सरकार.