7 अक्षर की मदद से 5 साल बाद Google ने मूक बधिर को परिवार से मिलाया

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने गूगल सर्च के सही उपयोग से 5 साल से गुमशुदा मूकबधिर महिला को उसके परिवार से मिलाया, पुलिस की इस अनोखी कार्यशैली और ऑपरेशन मुस्कान की जमकर जो रही है सराहना

7 अक्षर की मदद से 5 साल बाद Google ने मूक बधिर को परिवार से मिलाया
5 साल बाद Google ने मूक बधिर को परिवार से मिलाया - फोटो : Reporter

N4N डेस्क : कहते है सच्चे प्रयासों से भगवान भी मिल जाते है और अब तो तकनीक की सहायता भी बिछड़ों को मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. दरअसल 12 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ पुलिस को सूचना मिली कि एक महिला लावारिस हालत में मिली है. इस महिला को कुछ लोगों ने क्वार्सी क्षेत्र में देखा था. फिर पुलिस को सूचना दी. ईशनपुर चौकी पुलिस उस जगह पहुंची. यह महिला न तो कुछ बोल पा रही थी और न ही अपने बारे में कोई जानकारी दे पा रही थी. दरअसल, महिला की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने उसे नारी संरक्षण केंद्र, मथुरा भेज दिया था.एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट टीम प्रभारी उदयभान सिंह ने इस महिला के परिजनों की ढूंढने के लिए रणनीति बनाई.


7 अक्षर की मदद शुरू किया अभियान 


सबसे पहले, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) ने मूक बधिर महिला के हाथ पर लिखे सात अक्षर लिखे एक शब्द ASAHANI पर ध्यान केन्द्रित किया और अंदाजा लगाया की शायद यह शब्द किसी गांवगाव का हो. इस को तलाशने खातिर गांव का गूगल पर सर्च किया. गूगल सर्च के माध्यम से पता चला कि असहनी नाम का गांव बिहार के सारण जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र में स्थित है. इसके बाद पुलिस ने रसूलपुर थाना प्रभारी से संपर्क किया और गांव असहनी के प्रधान अखिलेश यादव से बात की. प्रधान की मदद से महिला के संभावित परिजनों तक पहुंचने की कोशिश की गई, जिसके बाद महिला के भाई तारकेश्वर ओझा का मोबाइल नंबर प्राप्त हुआ.


बहन को देख भावुक हुआ भाई

पुलिस टीम ने तारकेश्वर ओझा से कॉन्टेक्ट किया. वीडियो कॉल के माध्यम से उनकी बहन को दिखाया. जैसे ही उन्होंने वीडियो में अपनी बहन को देखा, तो वह भावुक हो उठे और उसे तुरंत पहचान लिया. तारकेश्वर ओझा ने बताया कि उनकी बहन निर्मला देवी पांच साल पहले 19 जनवरी 2020 को जमशेदपुर में अपने मंझले भाई राजेश्वर ओझा के घर से मां से मिलने के लिए निकली थीं. लेकिन रास्ता भटक गईं. परिवार ने उन्हें काफी खोजा, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. इसके बाद बागवेडा थाना, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.


परिजनों ने ऑपरेशन मुस्कान को जमकर सराहा 


अलीगढ़ पुलिस ने औपचारिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद निर्मला देवी को उनके भाई तारकेश्वर ओझा के सुपुर्द कर दिया. अपनी बहन को 5 साल बाद सकुशल देखकर परिवार के लोग बेहद भावुक हो गए. परिजनों ने अलीगढ़ पुलिस की इस अनोखी कार्यशैली और ऑपरेशन मुस्कान की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि वे पुलिस के इस मानवीय कार्य के लिए हमेशा आभारी रहेंगे. AHTU टीम प्रभारी उदयभान सिंह ने बताया कि गूगल जैसी डिजिटल सेवाओं के सही उपयोग से गुमशुदा लोगों को ढूंढा जा रहा है.

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