UP NEWS: स्टांप विभाग में ट्रांसफर घोटाला, सीएम योगी ने IG समीर वर्मा को हटाया, सभी तबादले रद्द

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में एक बड़ा फेरबदल उस समय सामने आया जब स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों के बदले रिश्वत के आरोपों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए विभाग के महानिरीक्षक निबंधक (IG स्टांप) समीर वर्मा को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया। साथ ही उनके द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को भी रद्द कर दिया गया है। यह कार्रवाई स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की शिकायत के बाद की गई है, जिन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरे तबादला प्रकरण में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और पैसे के लेनदेन के आरोप लगाए थे।


बिना सहमति के कर डाले 210 तबादले, लाखों की डील का आरोप

मंत्री रवींद्र जायसवाल ने आरोप लगाया कि आईजी स्टांप समीर वर्मा ने मंत्री से चर्चा किए बिना ही 58 उप निबंधकों, 114 लिपिकों, 8 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और 30 नए कर्मियों के तबादले कर दिए थे। उनके अनुसार, तबादलों के पीछे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ और लाखों रुपये के लेनदेन की खबरें सामने आईं। जायसवाल का कहना है कि तबादले 13 जून को ही कर दिए गए थे लेकिन उन्हें खानापूर्ति के तौर पर 15 जून को सूची सौंपी गई। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कई ऐसे कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया गया, जो या तो अयोग्य हैं या पहले से भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त रहे हैं।


मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश, तबादलों को बताया अपारदर्शी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस गंभीर प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेते हुए न केवल समीर वर्मा को हटा दिया, बल्कि उनके सभी तबादलों को निरस्त करते हुए मामले की जांच के आदेश भी दिए हैं। स्टांप एवं परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव अमित गुप्ता को फिलहाल IG स्टांप का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। राज्यमंत्री जायसवाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में साफ कहा था कि तबादले पूरी तरह से नियमों और मानकों के खिलाफ किए गए हैं और इस पूरे मामले की जांच STF (स्पेशल टास्क फोर्स) से कराई जानी चाहिए।


‘इंटर पास बाबू को रजिस्ट्रार बना दिया गया’, मंत्री ने जताई कड़ी आपत्ति

तबादलों की सूची पर आपत्ति जताते हुए मंत्री ने कहा कि एक इंटर पास बाबू को रजिस्ट्रार बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और मेरिट आधारित प्रणाली का स्पष्ट आदेश था, लेकिन समीर वर्मा ने इसका उल्लंघन करते हुए स्वेच्छाचारी फैसले लिए।


अखिलेश यादव का तंज – ‘जिसे हिस्सा नहीं मिला, वही खोल रहा है राज’

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस प्रकरण को लेकर सरकार पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, "जिसको ट्रांसफ़र में नहीं मिला हिस्सा, वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा। इंजन तो ईंधन मांगता ही है, यहां तो डिब्बा भी अपने इंतजाम में लगा है।" अखिलेश का इशारा ट्रांसफर-पोस्टिंग के कथित भ्रष्ट तंत्र की ओर था, जिसमें मंत्री, अफसर और दलाल सभी हिस्सेदार होते हैं।


बिल्डर लॉबी की भी संलिप्तता, मेरठ-एनसीआर में मनमाने तबादले

सूत्रों के अनुसार, समीर वर्मा की मेरठ में डीएम रहते एक बिल्डर से करीबी रही है। आरोप है कि इसी बिल्डर की सिफारिश पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और एनसीआर के अन्य जिलों में पसंदीदा अधिकारियों की तैनाती की गई। बदले में मोटी रकम वसूली गई। ये शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंची थीं, जिसके बाद कार्रवाई की गई।


स्वास्थ्य विभाग में भी तबादलों को लेकर टकराव, निदेशक हटाए गए

इसी तरह, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में भी तबादलों को लेकर विवाद गहरा गया है। विभाग के निदेशक (प्रशासन) भवानी सिंह खंगारौत को हटा कर प्रतीक्षारत कर दिया गया है। उनका कार्यभार विशेष सचिव आर्यका अखौरी को सौंपा गया है। स्वास्थ्य विभाग में इस वर्ष तबादलों को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही थी। विभाग की ओर से भेजी गई सूची पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने केवल ‘सीन’ लिखकर छोड़ दिया था, जिससे साफ था कि वे सूची से सहमत नहीं थे।


क्या वाकई ट्रांसफर-पोस्टिंग बना है भ्रष्टाचार का अड्डा?

आईजी स्टांप को हटाना और 210 तबादलों को रद्द करना योगी सरकार के लिए एक मजबूत प्रशासनिक निर्णय है। लेकिन यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या यूपी में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक समानांतर भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है? बिल्डर, अफसर और राजनेताओं की मिलीभगत से की गई पोस्टिंग क्या आम जनता के हितों के खिलाफ नहीं जाती? अब जब सीएम ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार केवल पद हटाए जाएंगे या सच में दोषियों पर कार्रवाई भी होगी।