डॉक्टरों का 'डेथ वारंट' फेल, खाकी की सतर्कता से पोस्टमार्टम हाउस से जिंदा लौटा मरीज
जूनियर डॉक्टरों की गंभीर लापरवाही सामने आई है, जहां जिंदा बुजुर्ग मरीज को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए पुलिस को सूचना भेज दी. हालांकि, जब पुलिस मौके पर पहुंची तो सभी लोग हैरान रह गए.
जूनियर डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल में भर्ती एक बुजुर्ग मरीज को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया और बिना किसी गहन जांच के पुलिस को पोस्टमार्टम के लिए सूचना (PI) भी भेज दी। यह घटना तब उजागर हुई जब पुलिस कागजी कार्रवाई के लिए मौके पर पहुंची और मरीज की सांसें चलती देख दंग रह गई।
पुलिस की सूझबूझ से बची बुजुर्ग की जान
दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के हैलट अस्पताल (लाला लाजपत राय) में गोविंदनगर थाने की पुलिस ने 24 दिसंबर को एक बुजुर्ग को बेहोशी की हालत में भर्ती कराया था। जूनियर डॉक्टरों ने बिना जरूरी पैरामीटर चेक किए मरीज को मृत बता दिया। जब स्वरूप नगर थाने की पुलिस शव लेने इमरजेंसी वार्ड पहुंची, तो उन्हें संदेह हुआ। बारीकी से देखने पर पता चला कि मरीज जीवित है। पुलिस की इसी सक्रियता के कारण बुजुर्ग को तुरंत इलाज मुहैया कराया गया, जिससे उनकी जान बच सकी।
वार्ड नंबर 12 में इलाज और वर्तमान स्थिति
मरीज के जीवित होने की सूचना मिलते ही अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में बुजुर्ग को वार्ड नंबर 12 में स्थानांतरित किया गया, जहां वर्तमान में सीनियर डॉक्टर बृजेश कुमार की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है। अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह के अनुसार, बुजुर्ग को उल्टी-दस्त की गंभीर शिकायत थी। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर बताई जा रही है।
दोषी डॉक्टरों पर जांच और कार्रवाई के आदेश
इस गंभीर लापरवाही के बाद अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों और उनके परिजनों ने जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। हैलट मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया है कि ड्यूटी पर तैनात जिन जूनियर डॉक्टरों ने बिना जांच के मरीज को मृत घोषित किया, उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।