Crime News: प्रसव में महिला की बच्चेदानी निकाली, पति ने पत्नी को गोद में उठाकर डीएम दफ़्तर में लगाई गुहार

Crime News:एक व्यक्ति नें आरोप लगाया है कि निजी अस्पताल ने प्रसव के दौरान पत्नी की बच्चेदानी निकाल दी और अब इलाज की बजाय पल्ला झाड़ लिया।

प्रसव में महिला की बच्चेदानी निकाली, पति ने पत्नी को गोद में उठाकर डीएम दफ़्तर में लगाई गुहार- फोटो : NEWS 4 NATION

N4N डेस्क: स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही और निजी अस्पतालों की मनमानी ने एक बार फिर से इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के फूलबेहड़ क्षेत्र के सरवा गांव निवासी विनोद कुमार बुधवार को अपनी पत्नी पूजा को गोद में उठाकर कलेक्ट्रेट पहुंच गया। उसकी शिकायत थी कि निजी अस्पताल ने प्रसव के दौरान पत्नी की बच्चेदानी निकाल दी और अब इलाज की बजाय पल्ला झाड़ लिया।

विनोद ने बताया कि 5 अगस्त को आशा कार्यकत्री के कहने पर वह गर्भवती पत्नी को लखीमपुर के एक निजी अस्पताल लेकर गया। अस्पताल में महज़ कुछ ही देर में 25 हज़ार रुपये लेकर ऑपरेशन कर दिया गया। ऑपरेशन के बाद हालत बिगड़ने पर अस्पताल प्रबंधन ने पूजा को बिना किसी रेफरल कागज़ के लखनऊ भेज दिया और खर्च उठाने का झूठा भरोसा दिया।

लखनऊ पहुंचने पर डॉक्टरों ने बताया कि पूजा की बच्चेदानी ऑपरेशन के दौरान निकाल दी गई है। पूजा इस समय महिला अस्पताल में भर्ती है और इलाज जारी है।

विनोद का कहना है कि अब तक इलाज पर उसका 1.40 लाख रुपये खर्च हो चुका है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन न तो पैसे दे रहा है और न ही फोन उठा रहा है। जब वह अस्पताल पहुंचा तो अस्पताल बंद मिला और संचालक फरार हो चुका था। थक-हारकर वह पत्नी को गोद में उठाकर डीएम दफ़्तर पहुंच गया।

पीड़ित का आरोप है कि उसने सीएमओ दफ़्तर में शिकायत दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूर होकर उसे डीएम दफ़्तर का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा। डीएम दुर्गाशक्ति नागपाल ने मामले की जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

इसी बीच लखीमपुर के थाना ईसानगर क्षेत्र के स्वर्गलोक गांव में भी लापरवाही का एक और मामला सामने आया। श्रीकेशन की 30 वर्षीय पत्नी रेशमा ने चार दिन पहले घर पर ही बच्चे को जन्म दिया था। दोनों स्वस्थ थे, लेकिन मंगलवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ी। परिजन उसे सीएचसी धौरहरा लेकर पहुंचे, जहां करीब एक घंटे तक इलाज के बाद उसकी मौत हो गई।

निजी अस्पतालों की मनमानी और सरकारी अस्पतालों की सुस्ती दोनों मिलकर मातृत्व को मौत और लाचारी में बदल रहे हैं। कभी कोई नवजात झोले में भरकर डीएम दफ़्तर पहुँचाया जाता है, कभी कोई पति पत्नी को गोद में उठाकर अफ़सरों से न्याय माँगने आता है।