वर्दी पर फिर लगा घूसखोरी का दाग: 13 हजार की रिश्वत लेते दारोगा गिरफ्तार, एंटी करप्शन टीम ने बिछाया था जाल

रिश्वतखोर वर्दीधारी पर एंटी करप्शन टीम का बड़ा प्रहार। सीज वाहन की आख्या लगाने के बदले 13 हजार रुपये घूस लेते हुए दारोगा को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। आरोपी ने भागने की कोशिश की, लेकिन टीम ने दबोच लिया।

Lucknow -  कानून की रक्षा करने वाली वर्दी जब चंद रुपयों के लालच में नीलाम होने लगे, तो अंजाम सलाखों के पीछे ही होता है। एंटी करप्शन टीम ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए वृंदावन चौकी के दारोगा अमर प्रजापति को 13 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपी दारोगा ने एक पीड़ित से उसकी सीज की गई गाड़ी को छुड़वाने की रिपोर्ट (आख्या) लगाने के बदले इस रकम की मांग की थी। 

सीज वाहन के बदले मांगी थी 'कमीशन'

पूरा मामला अयोध्या निवासी शशांक की गाड़ी से जुड़ा है, जिसे कुछ दिन पहले सीज किया गया था। कोर्ट से गाड़ी छुड़वाने के आदेश के लिए पुलिस की आख्या अनिवार्य थी, जिसकी जिम्मेदारी दारोगा अमर प्रजापति के पास थी। पीड़ित का आरोप है कि दारोगा ने बिना पैसे लिए रिपोर्ट लगाने से साफ इनकार कर दिया था। हार मानकर पीड़ित ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन टीम से की, जिसके बाद आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया। 

चौकी में ही चल रहा था खेल, टीम ने रंगे हाथ पकड़ा

शनिवार की शाम, योजना के मुताबिक पीड़ित को पैसे देने के लिए चौकी बुलाया गया। जैसे ही दारोगा अमर प्रजापति ने 13 हजार रुपये अपने हाथ में लिए, वहां पहले से घात लगाकर बैठी एंटी करप्शन टीम ने उसे दबोच लिया। टीम को देखते ही दारोगा के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं और उसने भागने की नाकाम कोशिश भी की, लेकिन सतर्क टीम ने उसे मौके पर ही धर दबोचा। 

2023 बैच का था दारोगा, अब करियर पर लगा दाग

हैरानी की बात यह है कि आरोपी दारोगा अमर प्रजापति अभी नया भर्ती हुआ था। रामपुर का रहने वाला अमर साल 2023 में ही पुलिस बल में शामिल हुआ था। इतनी कम उम्र और सेवा के शुरुआती दिनों में ही भ्रष्टाचार के दलदल में फंसने के कारण अब उसका करियर खत्म होने की कगार पर है। सहायक पुलिस आयुक्त ने बताया कि आरोपी के खिलाफ गोसाईगंज थाने में मुकदमा दर्ज कर विधिक कार्रवाई की जा रही है। 

भ्रष्टाचार की 'परंपरा' या संयोग? पहले भी जा चुके हैं जेल

यह कोई पहली घटना नहीं है जब पुलिस महकमा शर्मसार हुआ हो। इससे पहले 11 सितंबर को भी एक और दारोगा धनंजय सिंह को दो लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था। वह दुष्कर्म के मामले से नाम हटाने के लिए मोटी रकम वसूल रहा था। एक के बाद एक वर्दीधारियों की गिरफ्तारी ने विभाग की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन अब ऐसे दागी अधिकारियों पर नकेल कसने की तैयारी में है।