यूपी की राजनीति के दो ध्रुव, जिन्होंने साथ मिलकर सरकार तो बनाई पर दिल कभी नहीं मिले, जानिए क्यों वीपी सिंह और मुलायम के बीच रही मीठी अदावत
UP News : उत्तर प्रदेश और केंद्र की राजनीति के अहम भूमिका निभानेवाले विश्वनाथ प्रताप सिंह और मुलायम के बीच हमेशा ठंडी अदावत रही....पढ़िए आगे
N4N DESK : विश्वनाथ प्रताप सिंह और मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो दिग्गज। दोनों कभी यूपी के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर काबिज हुए थे। बाद में विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमन्त्री बने तो मुलायम सिंह यादव भी केंद्र में रक्षा मंत्री बनाये गए। हालाँकि खास बात यह रही की इन दोनों दिग्गजों की कभी आपस में बनी नहीं। जिसके कई किस्से सियासी गलियारे में तैरते रहते है।
दरअसल विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) 9 जून, 1980 से 19 जुलाई, 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। प्रदेश में तब डकैतों का वर्चस्व हुआ करता था। वीपी सिंह ने डैकतों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। यूपी पुलिस डकैतों के पीछे हाथ धोकर पड़ गई और एनकाउंटर में एक के बाद एक डकैते मारे जाने लगे। विश्वनाथ प्रताप सिंह के पास पुष्ट सूचना थी कि मुलायम सिंह यादव के डकैत गिरोहों से न सिर्फ सक्रिय संबंध थे। बल्कि डकैती और हत्या में भी वह संलग्न थे। फूलन देवी सहित तमाम डकैतों को मुलायम सिंह न सिर्फ संरक्षण देते थे। यहीं वजह रही की यूपी पुलिस को मुलायम सिंह यादव के एनकाउंटर के लिए खोजती रही। हालाँकि चौधरी चरण सिंह की चतुराई से किसी तरह उनकी जान बच गयी।
संयोग था कि 28 जून , 1982 को फूलन देवी ने बेहमई गांव में एक साथ 22 लोगों की हत्या कर दी। दस्यु उन्मूलन अभियान में ज़ोर-शोर से लगे विश्वनाथ प्रताप सिंह को इस्तीफ़ा देना पड़ा। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गई तो मुलायम सिंह यादव की जान में जान आई। चैन की सांस ली मुलायम ने। लेकिन मुलायम और विश्वनाथ प्रताप सिंह की आपसी दुश्मनी खत्म नहीं हुई कभी। कई वर्षों तक विश्वनाथ प्रताप सिंह और मुलायम सिंह यादव के बीच रिश्ते खराब ही रहे। मुलायम ने बाद में विश्वनाथ प्रताप सिंह के डइया ट्रस्ट का मामला बड़े ज़ोर-शोर से उठाया। जनता दल के समय विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे और मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री। तलवारें दोनों की फिर भी खिंची रहीं। मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का विश्वनाथ प्रताप सिंह का लालकिले से ऐलान भी मुलायम को नहीं पिघला पाया। इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ विश्वनाथ प्रताप सिंह ही थे।
एक और वाकया यह हुआ की लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोकने का श्रेय मुलायम न ले लें। इसलिए लालू प्रसाद यादव को उकसा कर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बिहार में ही आडवाणी को गिरफ्तार करवा कर रथ यात्रा रुकवा दी थी। ऐसे तमाम प्रसंग हैं जो विश्वनाथ प्रताप सिंह और मुलायम की अनबन को घना करते हैं। जैसे कि फूलन देवी को मुलायम ने न सिर्फ सांसद बनवा कर अपना संबंध निभाया। बल्कि विश्वनाथ प्रताप सिंह को अपमानित करने और उन से बदला लेने का काम भी किया। लेकिन जैसे बेहमई काण्ड के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह को मुख्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था, वैसे ही विश्वनाथ प्रताप सिंह किडनी की बीमारी के चलते मृत्यु को प्राप्त हो गए। इसके बाद मुलायम के जीवन का बड़ा कांटा निकल गया।