यूपी की सियासत: जब वी.पी. सिंह ने दे दिए ‘मुलायम’ को देखते ही गोली मारने के आदेश, चौधरी चरण सिंह की चतुराई ने बचाई जान!

UP News : कभी मुलायम सिंह यादव को गोली मारने का आदेश तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने दे दिया था. हालाँकि चौधरी चरण सिंह की चतुराई से उनकी जान बच गयी....जानिए कैसे

मुलायम सिंह के एनकाउंटर के आदेश - फोटो : SOCIAL MEDIA

N4N DESK : मुलायम सिंह यादव की शख्सियत को भला कौन नहीं जानता है। उनकी पहलवानी और सियासत की चर्चा उनके दिवंगत होने के बाद भी बड़ी शिद्दत से की जाती है। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री रह चुके थे। लेकिन एक दौर वह भी था जब मुलायम सिंह यादव का एनकाउंटर करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस निकल गयी थी। दरअसल विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) 9 जून, 1980 से 19 जुलाई, 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। प्रदेश में तब डकैतों का वर्चस्व हुआ करता था। वीपी सिंह ने डैकतों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। यूपी पुलिस डकैतों के पीछे हाथ धोकर पड़ गई और एनकाउंटर में एक के बाद एक डकैते मारे जाने लगे। विश्वनाथ प्रताप सिंह के पास पुष्ट सूचना थी कि मुलायम सिंह यादव के डकैत गिरोहों से न सिर्फ सक्रिय संबंध थे। बल्कि डकैती और हत्या में भी वह संलग्न थे। फूलन देवी सहित तमाम डकैतों को मुलायम सिंह न सिर्फ संरक्षण देते थे। बल्कि उन से हिस्सा भी लेते थे। ऐसा विश्वनाथ प्रताप सिंह का मानना था। तब तो नहीं लेकिन कुछ समय बाद दिल्ली के एक अखबार में पहले पेज पर तीन कालम की एक खबर छपी थी। जिस में मुलायम सिंह की हिस्ट्री शीट नंबर सहित उन के खिलाफ हत्या और डकैती के कोई 32 मामलों की डिटेल भी दी गई थी।  

मुलायम सिंह यादव को इनकाउंटर में मारने का निर्देश विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1981-1982 में दिया था। मुलायम सिंह यादव ने ज्यों इटावा पुलिस में अपने सूत्र से यह सूचना पाई कि उन के इनकाउंटर की तैयारी है तो उन्होंने इटावा छोड़ने में एक सेकेण्ड की भी देरी नहीं की। भागने के लिए कार, जीप, मोटरसाइकिल का सहारा नहीं लिया। एक साइकिल उठाई और गांव-गांव, खेत-खेत होते हुए, किसी न किसी गांव में रात बिताते हुए चुपचाप दिल्ली पहुंचे, चौधरी चरण सिंह के घर। चौधरी चरण सिंह के आगे गुहार लगाने लगे। कहा कि मुझे बचा लीजिए। मेरी जान बचा लीजिए। वी पी सिंह ने मेरा इनकाउंटर करवाने के लिए आदेश दे दिया है। इधर उत्तर प्रदेश पुलिस मुलायम सिंह को रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और सड़कों पर तलाशी लेती खोज रही थी। खेत और मेड़ के रास्ते , गांव-गांव होते हुए मुलायम इटावा से भाग सकते हैं, किसी ने सोचा ही नहीं था। लेकिन मुलायम ने सोचा था अपने लिए। इस से सेफ पैसेज हो ही नहीं सकता था।

अब जब मुलायम सिंह यादव, चौधरी चरण सिंह की शरण में थे तो चौधरी चरण सिंह ने पहला काम यह किया कि मुलायम सिंह यादव को अपनी पार्टी के उत्तर प्रदेश विधान मंडल दल का नेता घोषित कर दिया। विधान मंडल दल का नेता घोषित होते ही मुलायम सिंह यादव को जो उत्तर प्रदेश पुलिस इनकाउंटर के लिए खोज रही थी। वही पुलिस उनकी सुरक्षा में लग गई। हालाँकि इसके बाद भी मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में अपने को सुरक्षित नहीं पाते थे। मारे डर के दिल्ली में चौधरी चरण सिंह के घर में ही रहते रहे। जब कभी उत्तर प्रदेश विधान सभा का सत्र होता। तब ही वह अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ महज हाजिरी देने और विश्वनाथ प्रताप सिंह को लगभग चिढ़ाने के लिए विधान सभा में उपस्थित होते थे। लखनऊ से इटावा नहीं, दिल्ली ही वापस जाते थे। 

संयोग था कि 28 जून , 1982 को फूलन देवी ने बेहमई गांव में एक साथ 22 लोगों की हत्या कर दी। दस्यु उन्मूलन अभियान में ज़ोर-शोर से लगे विश्वनाथ प्रताप सिंह को इस्तीफ़ा देना पड़ा। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गई तो मुलायम सिंह यादव की जान में जान आई। चैन की सांस ली मुलायम ने। हालाँकि इसके बाद भी मुलायम सिंह यादव के रिश्ते वीपी सिंह से कभी ठीक नहीं रहे।