Mahakumbh 2025: प्राणों का प्रवाह कुंभ, महाकुंभ में आस्था में अभिषिक्त अनात्मीयता में आत्मीयता का दर्शन करने का ये है महत्व

अनंत और अंत वाला काल एक ही है, दो नहीं; पूर्ण कुंभ दोनों को समाहित करने वाला है। पुराणों में अमृत-मंथन की कथा का यही अर्थ है कि जब अनंत को सृष्टि के विभिन्न तत्वों द्वारा मथा जाता है, तब अमृत का कलश प्रकट होता है। आगे पढ़िए

Mahakumbh 2025
सनातन गर्व,महाकुंभ पर्व- फोटो : Hiresh Kumar

Mahakumbh 2025: कुंभ ने सदियों से पूरे भारत को एकजुट करने का कार्य किया है। देवताओं ने अमृत कलश से अमरता प्राप्त की, यह तो ज्ञात है; लेकिन मनुष्य समय-समय पर एक विशेष प्रकार की अमरता का अनुभव करता है। यही महाकुंभ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है। यह अमरता केवल एक शरीर में अनंत काल तक रहने का नहीं है, बल्कि यह नश्वर शरीर में मृत्यु की क्षणिकता और जीवन की निरंतरता का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान, सभी के मन में यही भावना जागृत होती है कि सभी इच्छाएं क्षार (भस्म) होकर जल की तरलता में विलीन हो जाएं। गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में अविरल और निर्मल गंगा के दर्शन, पूजन, पवित्रस्नान से कोई भारतवंशी सनातनी वंचित नहीं रहना चाहिए.

जी, गाय के गोबर के गोइंठा पर आलू पकाकर खाना पड़ा,वाराणसी से प्रयागराज के दो घंटे का रास्ता 36 घंटे में तय करना पड़ा,25 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा.लेकिन जब आप महाकुंभ क्षेत्र के महासंगम में सनातनी महामहास्था की महाडुबकी लगाएंगे न,यकीन मानिए,सारे कष्ट भूल जाएंगे.

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.

'तीरथ पतिहीं आव सब कोई'की मान्यता अकारण नहीं है.इसके पीछे एक निगूढ़ दर्शन छिपा है.यह महापर्व है,अपने आप में विभिन्न वैविध्य और वैशिष्ट्य समेटे अनेकता में एकता का शंखनाद है. महाकुंभ का यह 'एकोअहम बहुश्याम' की भावना की भावना का साक्षात् दर्शन है.सनातनी भारत की दैवीय, आध्यात्मिक महाकुंभ का सारस्वत  धार्मिक अनुष्ठान है.महाकुंभ में धरती के सबसे पवित्र क्षेत्र संगम में अमृत स्नान का पुण्य लाभ अर्जित कीजिए.तमाम दुरूह,दुर्गम रास्तों,विघ्न बाधाओं को पार कीजिए,अफवाहों को दरकिनार कीजिए,इन दुश्वारियों से ज्यादा महफूज और मुकम्मल तैयारियां हैं.गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में अविरल और निर्मल गंगा के दर्शन,पूजन,पवित्रस्नान से कोई भारतवंशी सनातनी वंचित नहीं रहना चाहिए.

संत,महात्माओं के आशीर्वाद और आम जनमानस के सहयोग से 144 वर्षों का महासंयोग महाकुंभ, नया कीर्तिमान रच रहा है.यह महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक सांस्कृतिक चेतना का समागम है.एक भारत,श्रेष्ठ भारत,समावेशी भारत की दिव्यता की जीवन्त झांकी है. यह एक मेला या स्नान की डुबकी मात्र ना होकर भारतवर्ष की सनातन परंपरा का शाश्वत जयघोष है.

इस सनातनी अमृतकाल के सारथी बनिए.जन्म मरण का पुण्य फलीये,महाकुंभ चलिए.वैश्विक मानक गढ़ीये.भारत की गौरवशाली परंपरा और सांस्कृतिक विरासत के वाहक बनिए.भारत।के इस आध्यात्मिक गौरव और वैभव की अनुभूति कीजिए.सनातन हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महापर्व महाकुंभ की प्राचीन परम्परा के महारक्षक बनिए.भारतवर्ष के सांस्कृतिक अमृतकाल का पुनरुत्थान, पुनरोद्धार ,पुनर्स्थापित कीजिए.सनातनी सांस्कृतिक भावना को पुनर्जीवित कीजिए.दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक सांस्कृतिक समागम महाकुंभ के महापुण्य का महाभागी बनिए.

भारतवर्ष विश्व की आत्मा है, 'प्रयाग' भारत का प्राण है.सनातन धर्म अनादि है,'प्रयाग' अनंत है.इसकी आस्था,तप पुण्य, ऋषि मुनियों,साधुसंतों,सन्यासी,तपस्वी,मनीषियों की तपस्थली, तीर्थराज प्रयागराज की दिग्विजय यात्रा, आपके ऊर्जावान और शक्तिशाली हाथों में है.

बहरहाल कुंभ सदियों से सम्पूर्ण भारत को एकत्रित करने का कार्य कर रहा है। देवताओं ने अमृत कलश से अमरता प्राप्त की, यह तो ज्ञात है; किंतु मनुष्य समय-समय पर एक विशेष प्रकार की अमरता का अनुभव करता है। यही महाकुंभ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है।

साभार- पत्रकार  रुपेश कुमार के फेसबुक वॉल से...

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