Chhath Puja 2025: वाराणसी में छठ पूजा का भव्य नज़ारा, गंगा घाटों पर उमड़ा आस्था का सागर, बन गया मिनी बिहार

Chhath Puja 2025: वाराणसी के गंगा घाटों पर छठ का पर्व बिहार जैसी छटा बिखेर गया। लाखों महिलाओं ने सूर्यदेव को अर्ध्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। अस्सी घाट से राजघाट तक आस्था का सागर उमड़ा।

वाराणसी गंगा घाट पर छठ पूजा- फोटो : social media

Chhath Puja 2025: गंगा तट पर सोमवार को छठ महापर्व का ऐसा नज़ारा दिखा, जिसने पूरे काशी को मिनी बिहार बना दिया।अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक लाखों श्रद्धालु महिलाएं भगवान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा में लीन नज़र आईं।काले बादलों की वजह से भले ही सूर्यदेव के दर्शन नहीं हो सके,लेकिन श्रद्धा की लौ ने पूरे माहौल को दिव्यता से भर दिया।

छठी मैया से सुख-समृद्धि की कामना

अस्सी घाट की वेदियों पर व्रती महिलाओं ने छठी मैया के गीत गाते हुए अपने परिवार की संतान की सलामती और घर में सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।व्रती महिला सुनीता सिंह ने बताया कि छठी मैया की पूजा का प्रभाव अपार है।जो भी सच्चे मन से व्रत करता है, उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है।मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा हुआ है, वह इसी पूजा का आशीर्वाद है।”घरों की छतों पर भी लोगों ने कृत्रिम कुंड और वेदी बनाकर पूजा-अर्चना की। ठेकुआ, नए फल, और गन्ने के साथ पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।

डूबते सूर्य को अर्ध्य, कल उगते सूर्य से होगी पूजा का समापन

पंडित सुभाष पांडे के अनुसार छठ पूजा एक ऐसी परंपरा है जिसमें डूबते और उगते दोनों सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। यह पूजा सृष्टि के संतुलन और जीवन की निरंतरता का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि छठ पूजा में भगवान सूर्यदेव को नया धान, मौसमी फल, सब्जियां और ठेकुआ अर्पित किया जाता है। मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देकर इस पवित्र व्रत का समापन होगा।

गंगा घाटों से लेकर सूर्य सरोवर तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए थे। एनडीआरएफ के जवान गंगा की लहरों पर लगातार गश्त कर रहे थे,जबकि घाटों पर पुलिस और स्वयंसेवक सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे थे।काशी के बनारस रेल इंजन कारखाने स्थित सूर्य सरोवर और वरुणा किनारे के कुंडों पर भी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

काशी में बिखरी मिनी बिहार की झलक

वाराणसी के घाटों पर सुनाई देते छठ गीतों और गूंजते जय छठी मैया के नारों ने वातावरण को पवित्र बना दिया।हर घाट पर लोक परंपरा, संगीत और भक्ति का संगम दिखा।व्रतियों की सादगी, परिवारों की एकजुटता और भक्ति का उल्लास देखकर पूरा शहर एक पल को बिहार की लोकसंस्कृति में डूब गया।