Mahakumb 2025: 7 महीने से गायब नवादा का 13 साल का बच्चा महाकुंभ प्रयाग में मिला,मां खुशी से रो पड़ी,परिवार ने मिलने की आशा छोड़ दी थी...
महाकुंभ मेला बिछड़ने के बजाय एक मिलन का प्रतीक बन गया है। नवादा के एक बच्चे को, जो सात महीने पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था, उसकी मां से पुनः मिलाने का अवसर मिला। महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज गए ...
Mahakumbh2025: दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025... धर्मात्मा फिल्म का डॉयलग शायद आपको याद हो,...यह मेला तो बस नाम है, यहां हर कोई अपनी किस्मत का सौदा करने आया है।"..कुंभ मेला में मिलने बिछड़ने की तमाम कहानी लोगों के जेहन में है। लेकिन इस बार महाकुंभ मेला बिछड़ने के बजाय मिलन का प्रतीक बन गया। सात महीने पहले परिवार से बिछड़े नवादा के एक बच्चे को उसकी मां से पुनः मिलाया गया। महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज गए एक परिचित ने बच्चे का फोटो लगा हुआ पोस्टर मेले में देखा और उसे पहचान लिया। उन्होंने बच्चे के परिजनों को सूचित किया। रविवार को बच्चा सुरक्षित रूप से अपने घर लौट आया।
सात महीने पहले, नवादा के एक बच्चे को उसके परिवार से मिलाने का प्रयास किया गया। महाकुंभ स्नान के दौरान प्रयागराज में एक परिचित ने बच्चे का फोटो एक पोस्टर पर देखा और उसे पहचान लिया। उन्होंने बच्चे के परिजनों को सूचित किया। रविवार को बच्चा सुरक्षित अपने घर लौट आया। नवादा जिले के वारिसलीगंज के 13 वर्षीय अमरजीत के पिता सुजीत दास और मां काजल दास अपने बेटे की खोज में अत्यंत चिंतित थे। मां की तबीयत खराब हो गई थी और पिता का पैर टूट गया था। अमरजीत की खोज में उसके नाना कृष्ण दास ने आधा कट्ठा जमीन भी बेच दी थी। वह अपने ननिहाल में रहता था। 29 मई को वह ननिहाल से घर आया और 30 मई को लापता हो गया। माता-पिता ने मान लिया था कि अब उनका बेटा नहीं मिलेगा। अमरजीत तीसरी कक्षा में पढ़ाई कर रहा था।
वह लकवाग्रस्त है। पुलिस गुमशुदा अमरजीत की खोज में लगी हुई थी। अमरजीत सामान्यतः घर लौट आता, लेकिन उसने अपना नाम सही बताया, फिर भी वारिसलीगंज के बजाय वैशाली का नाम लिया। इस कारण आश्रम के लोग उसे पहचान नहीं पाए। हालांकि, एक पड़ोसी ने उसे पहचान लिया। प्रयागराज से काजल के भैसुर दिलीप दास के एक जानकार का फोन आया कि अमरजीत प्रयागराज कुंभ मेले में है। कुंभ में उसका पोस्टर भी लगा हुआ है। वह प्रयागराज रेलवे स्टेशन के निकट एक अनाथ आश्रम में रह रहा है। वीडियो कॉल के माध्यम से अमरजीत को दिखाया गया। इसके बाद उसके परिजन अमरजीत को लाने के लिए प्रयागराज गए। अमरजीत तब से प्रयागराज के एक अनाथ आश्रम में निवास कर रहा था।