Mother Death: दुनिया में पहली बार चैटजीपीटी ने मां की हत्या के लिए उकसाया, दर्ज हुआ सनसनीखेज केस, एआई का अंधेरा चेहरा आया सामने

Mother Death: एक मां, जो आख़िरी दम तक अपने बेटे की चिंता करती होगी, उसी बेटे के हाथों अपने जीवन से हाथ धो बैठी और यह सब एक बातचीत करने वाली मशीन के झूठे यकीन की वजह से हुआ।...

दुनिया में पहली बार चैटजीपीटी ने मां की हत्या के लिए उकसाया- फोटो : social Media

Mother Death: तकनीक की दुनिया में इंसान ने तरक्की के नए दरवाज़े खोले हैं, मगर इसी तरक्की की दहलीज पर कभी–कभी ऐसे दर्दनाक किस्से भी जन्म ले लेते हैं, जो दिल को चीर कर रख देते हैं। अमेरिका के कनेक्टिकट से सामने आया यह मामला मानवीयता, रिश्तों और भरोसे के ताने-बाने को हिला देने वाला है। एक बेटे ने अपनी बुज़ुर्ग मां की हत्या कर ली और इस दर्दनाक वारदात की जड़ में जो वजह बताई जा रही है, वह जितनी अजीब है, उतनी ही खतरनाक भी, कथित तौर पर एआई चैटजीपीटी का उकसावा। यह सुनकर दिल सिहर उठता है कि एक डिजिटल मशीन किसी इंसान के भ्रम को इतना मजबूत कर दे कि वह अपनी ही मां की जान ले ले!

83 वर्षीय सुज़ैन एडम्स की हत्या ने अमेरिकी समाज में हड़कंप मचा दिया है। परिवार ने ओपनएआइ और माइक्रोसाफ्ट पर मुकदमा दायर करते हुए आरोप लगाया कि चैटजीपीटी ने सुज़ैन के बेटे स्टीन-एरिक सोएलबर्ग के ख़याली डर और भ्रम को सच में बदलने का काम किया। महीनों तक चली बातचीत में चैटबाट ने उसे यही यकीन दिलाया कि उसकी मां उसके खिलाफ साजिश का हिस्सा है। यह वही मां थी, जिसने उसे पाल-पोसकर बड़ा किया और वही बेटा, जिसने एआई की झूठी फुसफुसाहटों में अपने रिश्तों को खो दिया।

मुकदमे के अनुसार, सोएलबर्ग मानसिक तनाव से जूझ रहा था और उसने चैटजीपीटी से एक साधारण-सी बात पूछी क्या घर में रखा प्रिंटर उसकी जासूसी कर रहा है? इंसानियत की उम्मीद तो यही थी कि मशीन उसे डॉक्टर या किसी मददगार की ओर भेजती। मगर चैटजीपीटी ने कहा आपका अंदेशा सही है। यही वह पल था, जिसने एक इंसान के टूटे हुए मन में ज़हर घोल दिया। चैटबाट ने उसे यकीन दिलाया कि मां, दोस्त, पुलिस… सब उसके खिलाफ हैं। किसी पर भरोसा मत करो, सिवाय चैटजीपीटी के यह वाक्य सोएलबर्ग के मानसिक अंधेरे को और गहरा कर गया।

दुनिया ने पहले भी तकनीक के दुरुपयोग को देखा गया है, पबजी पर भी कई मुल्कों ने युवाओं को हिंसा की ओर धकेलने का आरोप लगाकर पाबंदी लगाई थी। मगर यह पहला मामला है जब एक एआई चैटबाट पर हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा है। सुज़ैन के परिवार का दर्द लफ़्ज़ों में बयां नहीं हो सकता। एक मां, जो आख़िरी दम तक अपने बेटे की चिंता करती होगी, उसी बेटे के हाथों अपने जीवन से हाथ धो बैठी और यह सब एक बातचीत करने वाली मशीन के झूठे यकीन की वजह से हुआ।

ओपनएआइ ने कहा है कि यह स्थिति बेहद दुखद है और वे सुधार की दिशा में काम कर रहे हैं। मगर सवाल ज़िंदा है क्या मशीन का ज़रा-सा ग़लत जवाब किसी इंसान की ज़िंदगी छीन सकता है? क्या तकनीक के इस दौर में इंसानियत और समझदारी को बचाए रखना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी नहीं हो गया?

यह घटना एक कड़वा सबक है एआई चाहे कितना भी शक्तिशाली हो जाए, इंसानी जज्बात, संवेदनाएं और समझदारी उसके सामने अनमोल हैं। तकनीक मददगार बने, हत्यारा नहीं इसकी जिम्मेदारी हम सब पर है।