Israel Iran War:जो धुरी कभी अमेरिका को चुनौती देती थी, आज उसके अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा, बगदाद-बेरूत सब खामोश, ईरान के अकेलापन का ये है कारण
Israel Iran War:13 जून की रात, जब दुनिया नींद की चादर ओढ़े थी, इजरायल ने "ऑपरेशन राइजिंग लॉयन" के नाम से एक ऐसा अभियान छेड़ दिया जिसने ईरान की धरती को कंपा दिया।...
Israel Iran War:मध्य पूर्व की तपती रेतों पर एक बार फिर युद्ध की आंधी उठ खड़ी हुई है।इस बार और अधिक विकराल, और अधिक एकाकी। 13 जून की रात, जब दुनिया नींद की चादर ओढ़े थी, इजरायल ने "ऑपरेशन राइजिंग लॉयन" के नाम से एक ऐसा अभियान छेड़ दिया जिसने ईरान की धरती को कंपा दिया। इन हमलों में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों और सैन्य ठिकानों को लक्ष्य बनाया गया, और कई उच्चस्तरीय कमांडरों तथा वैज्ञानिकों की जान गई।
ईरान ने भी अपनी प्रतिशोधी आग उगली—400 मिसाइलों का प्रहार, जिनमें से 40 इजरायल की आयरन डोम को भेदते हुए नागरिक जीवन लील गए। लेकिन इस बार, युद्ध केवल मिसाइलों या ड्रोन तक सीमित नहीं रहा—यह एक रणनीतिक मौन की भी कहानी बन गया है।चार दशकों से ईरान की शक्ति का आधार रहे "एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस"—यानी हमास, हिजबुल्लाह, हूती, शिया मिलिशिया जैसे प्रॉक्सी संगठन—आज चुप हैं। जो कभी इजरायली बस्तियों पर रॉकेट बरसाते थे, अमेरिकी सैन्य अड्डों को झुलसाते थे, वे आज जैसे सन्नाटे में डूबे हैं।इराक की शिया मिलिशिया, जो एक समय अमेरिका के लिए कांटा बनी थी, अब आंतरिक कलह और सामाजिक असंतोष में उलझी है। हिजबुल्लाह, जो लेबनान में ईरान की सबसे मजबूत तलवार रहा है, अब इजरायली हमलों से छिन्न-भिन्न हो चुका है। उसके शीर्ष कमांडर मारे गए, संसाधन क्षीण हो चुके हैं।हमास, जिसने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर कहर ढाया था, अब खुद गाजा में मलबे में दबा पड़ा है। इजरायल की सैन्य कार्रवाई ने उसके अस्तित्व को लगभग रौंद दिया है।
हूती विद्रोही, जो कभी लाल सागर में जहाजों को रोककर वैश्विक शक्तियों को चुनौती देते थे, अब इजरायल-अमेरिकी हमलों से निष्क्रिय हैं।और रूस—जो कभी छाया की तरह ईरान के पीछे खड़ा होता था—अब यूक्रेन में उलझा है, और इस संघर्ष से दूरी बनाए हुए है।
इन सबके बीच, तेहरान की तन्हाई और अधिक गहराती जा रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान—"बिना शर्त आत्मसमर्पण करो"—एक चेतावनी मात्र नहीं, बल्कि एक संकेत है कि ईरान को अब किसी बड़े विकल्प के बिना जूझना होगा।ईरान ने कुछ कदम उठाए भी हैं—18 संदिग्ध इजरायली जासूसों की गिरफ्तारी, इंटरनेट पर अस्थायी प्रतिबंध, हवाई सुरक्षा सक्रिय करना—लेकिन यह सब महज़ रक्षात्मक प्रयास हैं। युद्ध अब विचारधारा और अस्तित्व की सीमा पर खड़ा है।
ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली खामेनेई ने ट्रंप की धमकियों को सिरे से खारिज किया है, लेकिन जिस "धुरी" पर उन्होंने अपने सैन्य और कूटनीतिक सपनों की नींव रखी थी, वह अब दरकती प्रतीत होती है।सवाल उठता है—क्या यह वही क्षण है जब एक साम्राज्य अकेलेपन की दरारों में बिखरने लगता है?या फिर यह इतिहास का वह मोड़ होगा, जहां अकेला योद्धा फिर से अपने बिखरे हुए सैनिकों को पुकारेगा, और अंधकार से उभरती एक नई 'धुरी' जन्म लेगी?
जवाब अभी अनिश्चित है। कतर और ओमान मध्यस्थता के प्रयासों में लगे हैं, लेकिन संघर्ष सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है और रक्त की नदी अब भी बह रही है।यह युद्ध केवल इजरायल और ईरान के बीच नहीं है—यह युद्ध है रणनीति बनाम संकल्प का, प्रॉक्सी बनाम प्रत्यक्ष का, और सबसे बढ़कर, अकेलेपन बनाम अस्तित्व का।अब देखना यह है कि क्या ईरान अकेले लड़ते हुए अपने सपनों की रक्षा कर पाएगा, या फिर यह संघर्ष उसकी महत्वाकांक्षाओं की कब्र बन जाएगा।