BANKA : बिहार में पंचायती राज संस्थाओं में भले महिलाओं को पचास प्रतिशत का आरक्षण दिया गया हैl लेकिन परदे के पीछे उनका पूरा काम काज उनके पति और परिजन ही करते हैंl महिलाएं केवल हस्ताक्षर करने तक ही सीमित रह जाती हैंl ऐसा ही मामला बांका जिले का अमरपुर नगर पंचायत में देखने को मिला है l जहाँ महिला जनप्रतिनिधि का नाम सिर्फ कागजों पर अंकित होता जबकि उनके कार्य सारे उनके पति या किसी परिजन के द्वारा ही किया जाता है l चाहे नगर पंचायत की सामान्य बैठक हो या अन्य कोई कार्यक्रमl वहां मुख्य पार्षद रीता देवी की जगह उनके पति राजेश साह ही मौजूद होते हैं l
शनिवार को भी इसी तरह का दृश्य बांका में देखने को मिला l ज़ब स्वच्छता सेवा कार्यक्रम के तहत स्वभाव स्वच्छता , संस्कार स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया l जिसमें कार्यालय के सरकारी कर्मी को प्रशस्ति पत्र देना था l प्रशस्ति पत्र कार्यालय से निर्गत था l
लेकिन वहां भी प्रशस्ति पत्र वितरण के कार्यक्रम में मुख्य पार्षद रीता साह के जगह पति राजेश साह ठाठ से प्रशस्ति पत्र बांटते दिखे l कही पर रीता साह दिखाई नहीं दी l इससे पहले भी नगर पंचायत की सामान्य बैठक में मुख्य पार्षद रीता साह के पति राजेश साह का बैठक मे शामिल होकर सरकारी कर्मी को डाटतें हुए वीडियो सामने आया था l
सवाल है की बिहार सरकार द्वारा महिलाओं को सशक्त करने के लिए स्थानीय निकायों में पचास प्रतिशत का आरक्षण दिया गया l जिससे की महिला राजनीतिक रूप से सशक्त हो सके l लेकिन बिहार के बांका जिले के अमरपुर नगर पंचायत कार्यालय में ये बिलकुल नाकामयाब साबित हो रही है l जहाँ साफ तौर पर बिहार सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे है मुख्य पार्षद पति। उधर इस मामले पर जब नगर पंचायत अमरपुर के कार्यपालक पदाधिकारी रविशंकर सिंह से बात की गयी तो उन्होंने कहा की कोई बड़ी बात नहीं है प्रतिनिधि है प्रशस्ति पत्र बांट सकते हैं।
बांका से चंद्रशेखर कुमार भगत की रिपोर्ट