Bihar News: बेगूसराय के एमआरजेडी कॉलेज में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित स्नातक द्वितीय सेमेस्टर परीक्षा के दौरान 24 अक्टूबर को एक अप्रिय घटना सामने आई, जिसमें एक परीक्षार्थी और उसके परिजनों पर कॉलेज प्रशासन द्वारा मारपीट की गई। इस घटना के बाद विश्वविद्यालय ने कठोर कदम उठाते हुए एमआरजेडी कॉलेज को विवि स्तरीय परीक्षा केंद्रों की सूची से हटाने का निर्णय लिया। अब इस कॉलेज में भविष्य में लनामिवि द्वारा आयोजित कोई भी परीक्षा नहीं होगी। इस संबंध में 26 अक्टूबर को कुलसचिव डॉ. अजय कुमार पंडित द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई।
क्या है पूरा मामला?
बताया जा रहा है कि परीक्षा के दौरान एक परीक्षार्थी पर अनियमितता का आरोप लगने पर उसे परीक्षा से निष्कासित कर दिया गया। कॉलेज प्रशासन ने इस मामले की रिपोर्ट तत्काल प्रभाव से ई-मेल के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेज दी थी। रिपोर्ट के बाद परीक्षार्थी और उसके परिजनों ने कॉलेज प्रशासन से नाराजगी व्यक्त की, जिससे विवाद बढ़ गया और बात मारपीट तक पहुंच गई। इस झड़प में परीक्षार्थी और उसके परिजनों को गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद उन्हें स्थानीय सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने परीक्षार्थी की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) रेफर कर दिया, जबकि परिजनों का इलाज सदर अस्पताल में ही किया जा रहा है।
विवि की सख्त कार्रवाई
घटना की जांच के लिए विश्वविद्यालय ने एक विशेष जांच समिति का गठन किया था। समिति की अनुशंसा के आधार पर विश्वविद्यालय ने कॉलेज को परीक्षा केंद्र के रूप में प्रतिबंधित कर दिया। यह निर्णय लनामिवि के छात्रों की सुरक्षा और परीक्षा में निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। विश्वविद्यालय की अधिसूचना के अनुसार, एमआरजेडी कॉलेज अब लनामिवि की किसी भी परीक्षा का केंद्र नहीं बनेगा।
कॉलेज के शासी निकाय का नया गठन
घटना के बाद एमआरजेडी कॉलेज के नए शासी निकाय के गठन को लेकर भी विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस नए शासी निकाय में कॉलेज के प्रधानाचार्य के अलावा विश्वविद्यालय के मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह, सदर एसडीओ (सरकारी प्रतिनिधि), मटिहानी के विधायक राजकुमार सिंह (जनप्रतिनिधि), और दाता सदस्य अशोक कुमार सिंह को नामित किया गया है। इसके अलावा, निर्वाचन पद्धति के माध्यम से शिक्षक प्रतिनिधि का चयन करने और संवाचन पद्धति से एक शिक्षाविद को भी नामित करने का निर्देश दिया गया है।
छात्रों के लिए सख्त संदेश
इस मामले ने शिक्षा और परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितता के मामलों पर विश्वविद्यालय की सख्त नीति को दर्शाया है। छात्रों के हित में ऐसे निर्णय यह सुनिश्चित करते हैं कि परीक्षा केंद्रों पर होने वाली घटनाओं को गंभीरता से लिया जाएगा और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे