Bihar Land Survey: बिहार सरकार पिछले कुछ वर्षों से राज्य में भू-सर्वेक्षण अभियान चला रही है। इस सर्वे का उद्देश्य जमीन से जुड़े विवादों का समाधान करना और सरकारी तथा निजी भूमि का सही आंकलन करना है। भूमि स्वामित्व और रिकॉर्ड की जांच के दौरान, सरकार पुराने और गलत रिकॉर्ड को सुधारने पर विशेष ध्यान दे रही है।
भूमि सर्वेक्षण के मुख्य उद्देश्य
सरकारी जमीन की पहचान
गैरमजरुआ आम और खास जमीन।
केसरे हिंद और राज्यपाल के नाम दान की गई जमीन।
धार्मिक न्यास बोर्ड की भूमि।
पर्चा, बंदोबस्त, और दान की भूमि।
भूमि का वर्गीकरण:
कृषि, आवासीय, और वाणिज्यिक भूमि की श्रेणियों में जमीन को विभाजित करना।
जमीन के स्वामित्व का सत्यापन:
विवादित भूमि का निपटारा।
अवैध कब्जों की पहचान।
सरकारी जमीन का सर्वेक्षण
बेगूसराय जिले में अवर निबंधन कार्यालय के क़ातिब सुधीर पंडित ने बताया कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सरकारी जमीनों का सर्वे किया जा रहा है। इनमें गैरमजरुआ भूमि, पर्चा की भूमि, और धार्मिक न्यास बोर्ड की संपत्ति शामिल हैं। इन जमीनों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा ताकि अवैध कब्जों को रोका जा सके।
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों का मुद्दा
पहले सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री आम बात थी।कई अपराधिक तत्वों ने सरकारी जमीन को अवैध रूप से अपने नाम करवा लिया था।अब सर्वे के माध्यम से इन अनियमितताओं की पहचान की जा रही है।
भूमि विवाद और प्रबंधन की नई व्यवस्था
भूमि प्रबंधन को पारदर्शी और विवाद-मुक्त बनाने का प्रयास।सर्वेक्षण के बाद सरकार के पास यह स्पष्ट जानकारी होगी कि कितनी जमीन सरकारी है और उसका उपयोग कैसे हो रहा है।यह पहल भू-स्वामित्व विवादों को कम करने में सहायक होगी।
सर्वेक्षण से जनता को लाभ
जमीन खरीदने और बेचने वाले लोग अब अधिक सतर्क हैं और पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही जमीन की खरीदारी कर रहे हैं।सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को रोकने में यह प्रक्रिया कारगर साबित होगी।