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Bihar Education News: बिहार के इस विश्वविद्यालय में छात्रों से 7 करोड़ रुपए वसूलने का खेल,15 वर्षों में सिर्फ 3 बार ही हुआ तरंग का आयोजन,कौन है जिम्मेदार

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सांस्कृतिक प्रतियोगिता में व्यापक अनियमितता- फोटो : hiresh Kumar

टीएमबीयू सहित राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में "तरंग" नामक सांस्कृतिक प्रतियोगिता के नाम पर छात्रों से लगातार शुल्क वसूला जा रहा है। परंतु यह प्रतियोगिता नियमित रूप से आयोजित नहीं की जाती है। चूंकि यह एक अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिता है, इसलिए राज्य के लगभग सभी विश्वविद्यालय इसमें भाग लेते हैं। 2008 से शुरू हुई इस प्रतियोगिता को हर साल आयोजित किया जाना चाहिए था, लेकिन पिछले 15 वर्षों में केवल तीन बार ही इसका आयोजन हुआ है।टीएमबीयू में इस अवधि के दौरान लगभग 9.60 लाख छात्रों से लगभग 7.2 करोड़ रुपये का शुल्क वसूला गया है। चिंताजनक बात यह है कि टीएमबीयू प्रशासन ने कॉलेजों और पीजी विभागों से इस राशि का कभी हिसाब नहीं मांगा है।

तत्कालीन राज्यपाल आरएस गवई ने 2007-08 में विश्वविद्यालय स्तर पर अंतर विश्वविद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिता 'तरंग' की शुरुआत की थी। राजभवन ने इस प्रतियोगिता को हर वर्ष आयोजित करने का निर्देश दिया था। प्रत्येक वर्ष विभिन्न विश्वविद्यालयों को मेजबानी का कार्य सौंपा जाता है, जबकि अन्य सभी विश्वविद्यालयों को इसमें भाग लेना अनिवार्य होता है। 'तरंग' का पहला आयोजन 2009 में हुआ था। गवई के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद, 2010 से 2017 तक इस प्रतियोगिता का आयोजन नहीं किया गया। इसके बाद 2018 और 2019 में प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, लेकिन उसके बाद से इसे फिर से आयोजित नहीं किया गया है।

हर वर्ष सेमेस्टर के दौरान प्रत्येक छात्र से 25 रुपए का शुल्क लिया जाता है। तरंग के लिए हर वर्ष और सेमेस्टर में छात्रों से यह शुल्क लिया जाता है। स्नातक के चार वर्षीय पाठ्यक्रम का सत्र 2023-27 से प्रारंभ हुआ है। इसके अतिरिक्त, तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में भी सत्र 2023-26 में नामांकन किया गया था। तरंग का आयोजन राजभवन में होना है, न कि विश्वविद्यालय में। टीएमबीयू की सांस्कृतिक परिषद की सचिव निशा झा ने बताया कि इस मद में शुल्क लिया जाता रहा है। आयोजन हर साल होना चाहिए, लेकिन 2009, 2018 और 2019 में ही प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

यह आयोजन जिसे वर्तमान में ओल्ड कोर्स के नाम से जाना जा रहा है, पहले सत्र 2022-25 और इससे पूर्व स्नातक के तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के रूप में संचालित होता था। प्रत्येक वर्ष, तीन वर्षों में हर छात्र से 25 रुपए की दर से कुल 75 रुपए लिए जाते थे। 2018 तक मुंगेर विश्वविद्यालय के कॉलेज भी टीएमबीयू के अंतर्गत आते थे। यदि हर सत्र में औसतन 60 हजार छात्रों का नामांकन माना जाए, तो 2009 से 2023 तक तीन वर्षीय पाठ्यक्रम और 2023-27 तथा 2024-28 सत्र के अब तक के तीन सेमेस्टर में लगभग 9.60 लाख छात्रों का नामांकन हुआ, जिससे लगभग 7.20 करोड़ रुपए का शुल्क प्राप्त हुआ। राजभवन को इस आयोजन का संचालन करना होता है। विश्वविद्यालय को मेजबानी मिलने पर आयोजन का संचालन किया जा सकता है और इसमें भाग लिया जा सकता है। पीजी संगीत विभाग की पूर्व प्रमुख किरण सिंह ने बताया कि इस मद में लिया गया शुल्क कॉलेजों में ही जमा किया जाएगा।

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