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Sushil Kumar Modi Anniversary: रेडीमेड कपड़े के फैमिली बिजनेस छोड़, राजनीतिक गलियारों में शुरू किया सफर, जानें सुशील कुमार मोदी ने कैसे राजनीति में बनाई खुद की पहचान?

सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना के एक मारवाड़ी (वैश्य बनिया) परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल मोदी और माता का नाम रत्नादेवी था।

Sushil Kumar Modi Anniversary: रेडीमेड कपड़े के फैमिली बिजनेस छोड़, राजनीतिक गलियारों में शुरू किया सफर, जानें सुशील कुमार मोदी ने कैसे राजनीति में बनाई खुद की पहचान?
फैमिली बिजनेस को त्याग राजनीति से संबंध- फोटो : social media

Sushil Kumar Modi Anniversary: आज 5 जनवरी को बीजेपी के दिग्गज स्वर्गीय नेता सुशील कुमार मोदी की 73वीं जंयती है. वो बिहार के एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व रहे हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बिहार के वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री जैसे अहम पदों पर रहते हुए उन्होंने राजनीति में अपनी पहचान बनाई। रेडीमेड कपड़े के पारिवारिक व्यवसाय को छोड़कर उन्होंने राजनीति में कदम रखा और कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक सफर

सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना के एक मारवाड़ी (वैश्य बनिया) परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल मोदी और माता का नाम रत्नादेवी था। उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1973 में बॉटनी ऑनर्स किया। पढ़ाई के दौरान ही वे राजनीति की ओर आकर्षित हुए और 1973 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी बने।

राजनीति में सक्रियता

सुशील मोदी 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय से ही सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए थे। उस समय सिविल डिफेंस ने उन्हें कमांडेंट के रूप में नियुक्त किया था, जिसके बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। 1974 में जय प्रकाश नारायण के आह्वान पर वे छात्र आंदोलन में शामिल हुए और अपनी एमएससी की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी। इस दौरान, जेपी आंदोलन और आपातकाल के दौरान उन्हें पांच बार गिरफ्तार किया गया।

प्रमुख राजनीतिक पद और जिम्मेदारियां

1990 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और पटना सेंट्रल विधानसभा सीट से चुने गए। इसके बाद, 1995 और 2000 में भी वे विधानसभा के सदस्य बने। 1996 से 2004 तक वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहे। इसी दौरान उन्होंने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़ी जनहित याचिका दायर की थी, जिसने बड़ा राजनीतिक हड़कंप मचाया।

उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री

2004 में सुशील मोदी भागलपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2005 में जब बिहार में NDA की सरकार बनी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, तो सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली। 2010 में भी NDA की जीत के बाद वे फिर से उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में बिहार को आर्थिक स्थिरता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 2011 में GST पर बनी राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति के चेयरमैन बने।

निजी जीवन

सुशील मोदी का विवाह 1987 में जेसी जॉर्ज से हुआ, जो मुंबई की रहने वाली हैं। उनकी शादी इंटरकास्ट और इंटररिलीजन थी, जिससे उन्होंने सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती दी। सुशील मोदी के दो बेटे हैं।

लेखन और अन्य उपलब्धियां

सुशील मोदी ने अपने राजनीतिक अनुभव और विचारों पर आधारित दो किताबें लिखी हैं, जिनके नाम हैं "क्या बिहार भी बनेगा असम" और "रिजर्वेशन"। उन्होंने कई देशों की यात्रा की है, जिनमें चीन, फ्रांस, इज़राइल, यूके, यूएसए, और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं। सुशील कुमार मोदी का राजनीतिक सफर संघर्ष और सफलता से भरा रहा है, और उन्होंने बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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