राजद के पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला को लगा 'सुप्रीम' झटका, पूर्व मंत्री बृजबिहारी सिंह हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा रखा बरकरार
supreme court - rjd के पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला के आजीवन कारावास की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है.-

New Dehli - देश की शीर्ष न्यायालय ने राजद के पूर्व विधायक व बाहुबली नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने हत्या के आरोप में मुन्ना शुक्ला को हुए उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है। पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने मुन्ना शुक्ला और एक अन्य दोषी मंटू तिवारी की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी।
मुन्ना शुक्ला पर 1998 में पटना में राजद के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद (Brij Bihari Prasad murder case) की हत्या का आरोप है। जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। मुन्ना शुक्ला (Munna Shukla) अभी राजद में हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में राजद ने शुक्ला ने वैशाली संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया था।
कोर्ट ने पिछले साल उन्हों दोषी ठहराया था
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तीन अक्टूबर को उन्हें मामले में दोषी ठहराया था। बृज बिहारी प्रसाद एक प्रभावशाली ओबीसी नेता और पूर्व भाजपा सांसद रमा देवी के पति थे। गोरखपुर के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला द्वारा उनकी हत्या के बाद उत्तर प्रदेश विशेष कार्य बल ने हमलावर को मुठभेड़ में मार गिराया था।
खुली अदालत में सुनवाई की अपील को भी किया खारिज
पीठ ने हाल ही में अपलोड किए गए छह मई के आदेश में रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए कहा, 'हमें तीन अक्टूबर, 2024 के फैसले की समीक्षा करने के लिए कोई अच्छा आधार और कारण नहीं मिला।' सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की अपील को भी खारिज कर दिया। उसने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को आंशिक रूप से खारिज कर दिया जिसमें सभी आरोपितों को बरी करने की बात कही गई थी।
15 दिनों के भीतर सरेंडर करने को कहा
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोषी पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा। जबकि, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह सहित पांच अन्य आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मुन्ना शुक्ला के जेल से बाहर आने की संभावना भी खत्म हो गई। साथ ही इस फैसले को उनके राजनीतिक करियर का भी अंत हो गया है।