Delhi assembly election: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके है। इस चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज की है। चुनाव से पहले अन्ना आंदोलन से जन्मी सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के सरंक्षक अरविंद केजरीवाल 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जीत कर दावा कर रहे थे । लेकिन जब चुनाव के परिणाम आए तो उनका दावे को जनता में अपने मतों से पुरी तरह से खारिज कर दिया। जनमत के अनुसार बीजेपी ने दो तिहाई सीटों पर जीत का जीत का परचम लहराई । आम आदमी पार्टी के दिेल्ली चुनाव हारने के कई कारण रहे।
विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर - चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने अपने 20 विधायकों के टिकट काट दिया । उन विधायकों के खिलाफ जनता में व्याप्त रोष था । काम के नाम पर दिल्ली के सत्ता में धमक देने वाली आम आदमी पार्टी कई विधायकों के खिलाफ आम लोगों ने बताया कि बीते 5 सालों में विधायक द्वारा उनकी जनसमस्याओं को पुरी तरह से नजर अंदाज किया गया । पार्टी के विधायकों के खिलाफ जनता में रोष देखते हुए आप के संरक्षक ने अपने 20 विधायकों के वेटिकट कर दिया । लेकिन जनता का रोष समाप्त नहीं हुआ और उन 20 सीटों में सिर्फ 4 सीट पर आम आदमी पार्टी को जीत मिल पाई । बाकी बचे 16 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा । जिसमें मनीष सिसोदिया की हाईप्रोफाइल जंगपुरा और अपने शिक्षण के दौरान दुनिया को राजा बनने का ज्ञान देने वाले प्रख्यात शिक्षक अवध ओझा की पटपड़गंज सीट भी थी ।
शराब ने डुबाया - वर्ष 2011 के बाद देश की राजधानी दिल्ली एक बड़ा जन आंदोलन का गवाह बनी । समाजसेवी अन्ना हजारे ने तत्कालीन सरकार से कई मांगो के लेकर एक विशाल जन आंदोलन का नेतृत्व किया । उन आदोंलन में दिल्ली के सभी उम्र और वर्ग के लोगों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। इस आंदोलन की उपज है आंम आदमी पार्टी । आप के संरक्षक अरविंद केजरीवाल को इस आंदोलन के वजह से काफी प्रसद्धि मिली । इसी दैरान अरंविद केजरीवाल ने अपने आदोंलनरत साथियों के साथ एक पार्टी का गठन किया । पार्टी का नाम दिया गया आम आदमी पार्टी । पार्टी के मुखिया ने वादा किया के देश में हम नई तरह की राजनीति करेगे। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी भष्ट्राचार से कोई समझौता नहीं करेगी । लेकिन 8 साल के बाद ही आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेता शराब घोटाले के आरोप में कई महीने जेल में काटने पड़े। आम आदमी पार्टी के सरक्षंक और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल,मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सतेन्द्र जैन को कई महीने सलाखों के साए में रहने पड़ा ।
एमसीडी चुनाव की जीत ने विधानसभा चुनाव हराया - लगभग दो साल पहले दिल्ली में हुए एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला।एमसीडी में जीत के बाद कई ऐसे क्षेत्र है जहां पर साफ सफाई एक बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ था ।कई विधानसभा क्षेत्रों में आप के पार्षद के खिलाफ जनता में व्याप्त रोष दिखा। आम लोगों ने साफ तौर पर कहा कि हमलोगों के लिए राष्ट्रीय या प्रदेश के मुद्दे से ज्यादा महत्वपूर्ण स्थानीय मुद्दे है। जनता में साफ साफाई की स्थिति को देखते हुए आम आदमी पार्टी के खिलाफ जमकर वोट किया । जिसके कारण पिछले विधानसभा चुनाव में 62 सीट लाने वाली आम आदमी पार्टी सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई ।
शीशमहल के मुद्दे पर जमकर घिरी आम आदमी पार्टी - अन्ना आदोंलन के जरिए दिल्ली की राजनीति में धमक देने वाले आप के सरंक्षक अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीति के शुरूआते दिनों में नेताओं के वीआईपी कल्चर पर जमकर हमला बोला था । सरकार में आते ही वो भी वीआईपी हो गए । करोड़ो के लागत से अपने मुख्यमंत्री आवास का नवीकरण करवाया । इस मुद्दे को बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में जमकर भुनाया ।
यमुना की सफाई - दिल्ली में आमजनमानस को साफ पानी मिलना प्रदेश का सबसे बड़ा मुद्दा है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के आप के सरंक्षक अरविंद केजरीवाल ने यमुना को साफ करने का वादा करने का वादा किए था । उन्होंने कहा था कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले यमुना पुरी तरह साफ हो जाएगी । लेकिन उनका वादा सिर्फ चुनावी वादा ही रह गया । यमुना की साफ सफाई तनिक भर नहीं हुई । जिसको लेकर जनता ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ जमकर वोट किया ।
कांग्रेस का कारण बड़ी नुकसान हुआ - लोकसभा चुनाव के आम आदमी पार्टी औऱ कांग्रेस ने दिल्ली में एक साथ चुनाव लड़ा था । लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के गठबंधन में दरार आई । हरियाणा के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने अलग अलग चुनाव लड़ा । जिसके कारण कांग्रेस कोे नुकसान का सामना करना पड़ा और हरियाणा में सरकार बनाने से चूक गई । दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कारण दिल्ली की 12 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ा । पार्टी के कई बड़े नेता कांग्रेस पार्टी के कारण चुनाव हार गए । दोनोें पार्टी के अलग -अलग चुनाव लड़ने के कारण आम आदमी पार्टी पहली बार दिल्ली विधानसभा में सत्ता से बाहर हो गई।
रितिक कुमार