National News : पाकिस्तान में ताकत दिखाने के बाद कई देशों में बढ़ी 'ब्रह्मोस' मिसाइल की डिमांड, लेकिन दूसरे देश को नहीं बेच सकता भारत, जानिए क्या है वजह

National News : पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष में भारत की ओर से ब्रह्मोस मिसाईल ने कहर बरपाया है. यही वजह है की ब्रह्मोस मिसाईल में दुनिया के कई देशों ने रूचि दिखाया है. लेकिन भारत इसे बेच नहीं सकता...जानिए क्या वजह

National News : पाकिस्तान में ताकत दिखाने के बाद कई देशों मे
भारत की बढ़ी ताकत - फोटो : SOCIAL MEDIA

N4N DESK : भारत पाकिस्तान के बीच कुछ दिन पहले हुए सैन्य संघर्ष में ब्रह्मोस मिसाइल ने अपनी ताकत दुनिया को दिखाई थी। इसने दुनिया को यह भी दिखाया की भारत को अपनी ताकत दिखाने के लिए दुसरे देशों पर आश्रित रहने की जरुरत नहीं है। बल्कि भारत स्वदेश में बनाये हत्यारों के बदौलत भी अपनी सैन्य ताकत का लोहा मनवा सकता हैं। पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष में कुल 15 ब्रह्मोस मिसाईल दागी गयी। जिसने पाकिस्तान के 11 एयर बेस को तबाह कर दिया। इससे पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। 

इन देशों ने ब्रह्मोस में दिखाई रूचि

अब ब्रह्मोस की क्षमता को देखते हुए कई देशों ने इसे भारत से खरीदने में अपनी रूचि दिखाई है। इसमें दुनिया के कई मुस्लिम देश भी शामिल हैं। बताया जा रहा है की भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस की खरीद को लेकर बातचीत चल रही है और जल्द ही ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर डील फाइनल भी हो सकती है। इसके अलावा वियतनाम भी अपने सेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की योजना बना रहा हैं। इन देशों के अलावा थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ओमान जैसे देशों ने भी इसमें रुचि दिखाई है। हालाँकि पहली बार 2022 में फिलीपिंस ने ब्रह्मोस एरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 37.4 करोड़ डॉलर का सौदा किया था। भारत ने हाल ही में अप्रैल, 2025 में इस मिसाइल की दूसरी खेप फिलीपींस को डिलीवर की थी।  इसके बाद भारत और वियतनाम के बीच भी ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर डील हुई थी। 

ब्रह्मोस नहीं बेच सकता भारत

हालाँकि ब्रह्मोस का भले कई देशों में डिमांड हो। लेकिन इसका सौदा भारत अकेले नहीं कर सकता है। इसके लिए रूस की सहमति लेनी जरुरी है। वजह यह है की ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का ज्वाइंट वेंचर है। इस डील के तहत भारत में ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना की गई थी, जो इस मिसाइल को बनाने का काम देखती है। एक्सपर्ट की मानें तो ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक में 50-50 फीसदी क भारत और रूस की साझेदारी है। ऐसे में भारत अगर किसी देश को यह मिसाइल बेचना चाहता है तो उसे रूस से इस पर सहमति लेनी जरूरी होती है।  

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