Kalpana Chawla Birthday: बचपन का सपना, NASA का सफर; जानिए कल्पना कैसे बनीं भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री

कल्पना चावला ने करनाल से अपनी यात्रा शुरू की और अंतरिक्ष में अपने सपनों की उड़ान भरी। वह भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं और युवाओं के लिए साहस की मिसाल हैं। आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी...

Kalpana Chawla Birthday

कल्पना चावला एक ऐसा नाम है जो भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में साहस, दृढ़ निश्चय और सपनों को हकीकत में बदलने की मिसाल बन गई है। हरियाणा के करनाल में जन्मी भारतीय मूल की यह पहली महिला अंतरिक्ष यात्री आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। कल्पना ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर चुनौती को स्वीकार किया और इतिहास के पन्नों में अमर हो गईं। आज उनकी 63वीं जयंती पर आइए जानते हैं उनके संघर्ष, सफलता और नासा तक के सफर की कहानी।


करनाल से शुरू हुआ असाधारण सफर

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। उनके पिता बनारसी लाल चावला और मां संजयोती चावला ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी। कल्पना का बचपन से ही विज्ञान और अंतरिक्ष की ओर झुकाव था। जब भी वह रात के आसमान में तारे देखतीं तो उनकी जिज्ञासा और अंतरिक्ष में जाने की इच्छा प्रबल हो जाती।


परिवार के पारंपरिक विचारों के बावजूद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का फैसला किया। उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। लेकिन उनका सपना इससे कहीं बड़ा था- वह अंतरिक्ष में जाना चाहती थीं। कल्पना चावला उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चली गईं। उन्होंने 1984 में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री और 1988 में इसी विषय में पीएचडी की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने नासा में काम करना शुरू किया और जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाने लगी। 1994 में कल्पना चावला को नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में शामिल किया गया। यह उनके लिए एक बड़ा मौका था, जिसने उनके सपने को हकीकत में बदलने का रास्ता खोल दिया।


भारत की बेटी का अंतरिक्ष में पहला कदम

कल्पना चावला को पहली बार 19 नवंबर 1997 को स्पेस शटल कोलंबिया एसटीएस-87 के जरिए अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला। इस मिशन में उन्होंने 15 दिन अंतरिक्ष में बिताए और कई वैज्ञानिक प्रयोग किए। यह भारत के लिए गर्व का पल था, क्योंकि पहली बार कोई भारतीय महिला अंतरिक्ष में गई थी। 2003 में कल्पना चावला को दोबारा अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला। 16 जनवरी 2003 को उन्होंने कोलंबिया एसटीएस-107 मिशन के तहत अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की। यह मिशन 16 दिनों तक चला, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए। लेकिन 1 फरवरी 2003 को जब कोलंबिया धरती पर लौट रहा था, तो वायुमंडल में प्रवेश करते समय अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में कल्पना चावला समेत सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई। इस घटना ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया।


कल्पना चावला की विरासत

कल्पना चावला भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कहानी हर युवा को यह सिखाती है कि अगर आपमें अपने सपनों को पूरा करने का जुनून है, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। उनके सम्मान में नासा ने एक सैटेलाइट का नाम 'एसएस कल्पना चावला' रखा। भारत में भी उनके नाम से कई शिक्षण संस्थान और पुरस्कार जुड़े हुए हैं।

Editor's Picks